मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज भोपाल में आयोजित ‘पर्यावरण सम्मेलन’ में सहभागिता की। इस अवसर पर उन्होने वृक्षारोपण के महत्व के बारे में बात की और कहा कि अबसे जन्मदिन या अन्य किसी विशेष अवसर पर यदि कोई पौधा लगाना चाहता है, तो उसे जगह उपलब्ध हो, इस दिशा में प्रयास किए जाएंगे। उन्होने कहा कि हम उस संस्कृति के पुजारी हैं जहां भगवान भी तुलसी जल के बिना भोजन ग्रहण नहीं करते और बिना बेलपत्र के बाबा महाकाल भी प्रसन्न नहीं होते। हमारी पूजा पद्धति में भी पर्यावरण का बहुत बड़ा महत्व है।
*मुख्यमंत्री ने कहा ‘हमारी संस्कृति में प्रकृति से अभिन्न जुड़ाव है’*
सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘चाहे वंदनवार की सजावट हो या पूजा के कलश के नीचे आम के पत्ते रखने की बात हो, भारतीय सनातन संस्कृति में सभी पर्व व त्योहारोंं में प्रकृति और पेड़-पौधों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हमारा यहां सनातन संस्कृति हर कदम पर प्रकृति से जुड़ी हुई है। हमारी जीवनशैली से वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश जाता है। इसीलिए हमें पेड़ों को सहेजना चाहिए। जब तक जंगल है, तब तक ही जीवन है..जंगल के बिना जीवन संभव नहीं है। भारत का दुनिया में इसलिए महत्व है क्योंकि हमने हमने समूची वसुधा को एक परिवार माना है। हमारा कुटुम्ब मानवता है, हमारा विचार शांति है और हमारा दर्शन प्रकृति के साथ जीने का रहा है। हमारी साहित्य रचना भी भोजपत्र पर हुई है इसलिए हमारी संस्कृति की जड़ें ही प्रकृति से जुड़ी हुई है।’ इसी के साथ उन्होने कहा कि अबसे जन्मदिन या अन्य किसी विशेष अवसर पर यदि कोई पौधा लगाना चाहता है, तो उसे जगह उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाएंगे।
यशस्वी प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi जी द्वारा जम्मू-कश्मीर में दी गई विकास की अनेक सौगातों के लिए मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं। यह सौगातें निश्चित ही जम्मू-कश्मीर में विकास के एक नए युग का प्रारंभ है।मैं प्रधानमंत्री जी को मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों को ₹400 करोड़ की राशि स्वीकृत करने पर भी हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूं। इस राशि से विश्वविद्यालयों में नवाचार, अनुसंधान और अधोसंरचना विकास जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य संपन्न हो सकेंगे।