रायपुर । झारखंड में गठबंधन की जीत का परचम लहराने में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं ने भी सब कुछ झोंक दिया था। प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव प्रचार और चुनाव प्रचार से लेकर मानिटरिंग तक की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ के नेताओं ने निभायी, जिसका नतीजा ये निकला की झारखंड में लुप्त समझी जाने वाली कांग्रेस पार्टी ना सिर्फ उभरकर सामने आयी, बल्कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को सत्ता के शिखर तक भी पहुंचा दिया। स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव बनाये गये हैं, लिहाजा प्रत्याशी चयन से लेकर झाऱखंड मुक्ति मोर्चा व आरजेडी के साथ समन्वय बैठाने में उनका बड़ा रोल रहा।
झारखंड में जीत के नायकों में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बड़ा रोल रहा, जिन्होंने तीन अलग-अलग चरणों में चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक-एक दिन में तीन-तीन सभाएं ली। कमाल की बात ये रही कि झारखंड में जिस विधानसभा से सबसे पहली जीत की खुशखबरी आयी, उस सीट पर प्रचार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया था। वो सीट थी बोकारो जिले की बेरमो की। बेरमो सीट से इंटक नेता व कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र प्रसाद सिंह ने एकतरफा जीत दर्ज की थी।
रामगढ़ में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी के पक्ष में चुनाव प्रचार किया था, उस सीट पर ममता देवी ने जीत दर्ज की, वहीं गढ़वा में गठबंधन के प्रत्याशी जेएमएम के प्रत्याशी मिथिलेश ठाकुर के पक्ष में उन्होंने चुनाव प्रचार किया था, वहीं से भी जीत की खुशखबरी सामने आयी। वहीं रामेश्वर उरांव के पक्ष में मंत्री अमरजीत भगत ने सभाएं ली थी, लोहरदगा सीट से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने जीत दर्ज की।