Saturday, March 15, 2025
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congress said decision to suspend 7 Lok Sabha MPs of our party taken by the spirit of revenge – कांग्रेस के 7 लोकसभा सांसदों को निलंबित किए जाने को पार्टी ने ठहराया बदले की भावना से उठाया गया कदम, कहा-यह फैसला स्पीकर का नहीं, बल्कि सरकार का है

नई दिल्ली:

कांग्रेस ने अपने सात लोकसभा सदस्यों के मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि से निलंबित किए जाने को बदले की भावना से उठाया गया कदम करार दिया और दावा किया कि ‘‘यह फैसला लोकसभा अध्यक्ष का नहीं, बल्कि सरकार का है.” लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह भी कहा कि सरकार के इस ‘तानाशाही वाले निर्णय’ से पार्टी के सदस्य झुकने वाले नहीं हैं और वे दिल्ली हिंसा पर तत्काल चर्चा की मांग उठाते रहेंगे. चौधरी ने कहा, ‘‘आज जो हुआ है वो संसदीय लोकतंत्र के लिए शर्मिंदगी की दास्तान है. हम दो मार्च से मांग करते आ रहे हैं कि दिल्ली हिंसा पर चर्चा शुरू कराई जाए. हिंसा से देश की छवि धूमिल हो रही है, लोगों की जान जा रही है और मजहबी दरार बढ़ती जा रही है. इसलिए हम देश की खातिर चर्चा चाहते हैं.” 

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उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी के नेतृत्व में हमने प्रभावित इलाकों का दौरा किया. हमने आज भी कहा कि हम सभी चीजों पर सहयोग करेंगे, लेकिन दिल्ली हिंसा पर चर्चा होना चाहिए.” कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘लोकसभा अध्यक्ष ने सुबह बुलाकर हमसे कहा कि सरकार कोरोना वायरस पर बयान देना चाहती है जिस पर हमने सहमति जताई. सरकार ने कोरोना वायरस पर बयान दिया और उसके बाद हमने फिर से दिल्ली हिंसा पर चर्चा की मांग उठाई.”

 उन्होंने कहा, ‘‘सदन में बदले की भावना देखने को मिली. सभापति के जरिए हमारे सात सांसदों को निलंबित कराया गया ताकि हमारी आवाज को रोका जा सके. यह सरकार ने तानाशाहीपूर्ण निर्णय लिया.” चौधरी ने दावा किया, ‘‘यह लोकसभा अध्यक्ष का फैसला नहीं है, बल्कि सरकार का फैसला है.” 

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उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी भी हालात में डरने और झुकने वाले नहीं हैं. हम दिल्ली हिंसा पर चर्चा की मांग उठाते रहेंगे.” चौधरी ने सवाल किया कि दिल्ली हिंसा पर चर्चा कराने से सरकार क्यों डरती है? निलंबित सदस्यों में शामिल कांग्रेस के सचेतक गौरव गोगोई ने कहा, ‘‘सरकार चाहे तो हमें एक साल के लिए निलंबित करा दे, लेकिन वह दिल्ली हिंसा पर चर्चा कराए और लोगों के जख्मों पर मरहम लगाए.”

 गौरतलब है कि कांग्रेस के सात लोकसभा सदस्यों को बृहस्पतिवार को सदन का अनादर करने और ‘घोर कदाचार’ के मामले में मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया. पीठासीन सभापति मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कांग्रेस सदस्यों द्वारा अध्यक्षीय पीठ से बलपूर्वक कागज छीने जाने और उछालने का ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण आचरण संसदीय इतिहास में संभवत: पहली बार हुआ है.

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संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस सदस्यों गौरव गोगोई, टी एन प्रतापन, डीन कुरियाकोस, राजमोहन उन्नीथन, बैनी बहनान, मणिकम टेगोर और गुरजीत सिंह औजला को निलंबित करने संबंधी प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया.

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