पटना:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके मंत्रिमंडल में उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी में इन दिनों एक होड़ चल रही है. ये प्रतियोगिता दोनों नेताओं में अपनी-अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद क़ायम करने की है. हालांकि इस रेस में सुशील मोदी और उनकी पार्टी नीतीश कुमार और उनके जनता दल यूनाइटेड से कोसों आगे हैं. लेकिन सुशील मोदी और भाजपा को शायद इस बात का अहसास नहीं रहा होगा कि नीतीश अपने पार्टी की कमान कोरोना संकट के दौरान हर दिन प्रशासनिक काम के साथ-साथ खुद सम्भालेंगे. क्योंकि अब तक भाजपा ये मान कर चलती रही है कि नीतीश पार्टी के कामकाज में बहुत ज़्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाते. हालांकि इस काम में दोनों नेता (नीतीश कुमार और सुशील मोदी) इतने मगन हैं कि शुक्रवार को जब औरंगाबाद में मज़दूरों को ट्रेन से कुचलकर मौत हो गई तो इन दोनों नेताओं ने एक ट्वीट कर संवेदना व्यक्त करने की औपचारिकता भी नहीं समझी.
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शुक्रवार को नीतीश कुमार ने अपने प्रखंड अध्यक्षों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर उनसे आपदा राहत केन्द्रों के बारे में फीडबैक और जन वितरण प्रणाली से गरीबों को मिलने वाले अनाज और ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी कामों के बारे में जानकारी ली. उन्होंने यह भी नसीहत दी कि ग्रामीण इलाकों में सोशल डिस्टेसिंग का भी प्रचार किया जाए.
नीतीश इससे पहले पार्टी के जिलाध्यक्षों और पार्टी के प्रवक्ताओं से भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात कर चुके हैं. माना जाता है कि जब नीतीश कुमार को इस बात का आभास हुआ कि बीजेपी कोरोना की महामारी के बावजूद राजनीतिक रूप काफ़ी सक्रिय और आक्रामक है और अपनी पार्टी के आंतरिक बैठकों में उन पर निशाना साधने से नहीं चूकती है, तब उन्होंने ख़ुद से पार्टी की कमान संभाल ली है.
वहीं सुशील मोदी के लिए शायद ही ऐसा कोई दिन होता हैं जब वो पार्टी के कार्यर्ताओं से फ़ीडबैक नहीं लेते. हालांकि नीतीश कुमार की तुलना में सुशील मोदी बातों को सार्वजनिक करने में कोताही नहीं बरतते और वीडियो भी जारी करते हैं.
जैसे शुक्रवार को जारी उनके बयान में कहा गया कि उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने पहले दौर की टेली कान्फ्रेंसिंग वार्ता के समापन पर बताया कि विगत 40 दिनों में कोरोना संकट से मुकाबले के लिए 19 अलग-अलग सत्रों में कुल 27 घंटे 38 मिनट तक टेली कान्फ्रेंसिंग के जरिए भाजपा के सांसदों, विधायकों, जिला, मंडल व प्रखंड अध्यक्षों के साथ ही पंचायत स्तर पर शक्ति केन्द्र प्रभारी के रूप में काम करने वाले कुल 11,124 कार्यकर्ताओं से बातचीत की. उनसे प्राप्त सुझावों के आधार पर विभिन्न राहत योजनाओं के कार्यान्वयन व समस्याओं के समाधान की दिशा में सरकार की ओर से पहल की गई.
बयान में आगे जोड़ा गया कि मोदी ने भाजपा के सभी नेताओं व कार्यकर्ताओं से अपील की है कि बाहर से आने वाला कोई व्यक्ति अगर बिना क्वरेंटाइन व स्क्रीनिंग के गांव में प्रवेश करे तो मुखिया के माध्यम से स्थानीय प्रशासन को सूचित करें ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.
बयान में जानकारी देते हुए कहा गया है कि राज्य सरकार ने 7 मई तक 1 करोड़ 86 लाख घरों में संक्रमण के लक्षणों की पहचान का सर्वेक्षण कार्य पूरा लिया है. पूरे राज्य में 3,232 ब्लॉक क्वरंटाइन सेंटर बनाए गए हैं. जहां बाढ़ राहत शिविर के तर्ज पर सभी को गमछा, मास्क, थाली, कटोरा,मग, तीन समय के भोजन, बच्चों के लिए दूध पावडर, सीसीटीवी कैमरा व चिकित्सा आदि की पर्याप्त व्यवस्था की गई है. क्वरंटाइन पूरा कर घर जाने वालों को 500 रुपये और जिन्हें किराया लगा है उन्हें किराया के साथ न्यूनतम एक हजार रुपये देने का सरकार ने निर्णय लिया है.
इसके साथ ही आगे जानकारी दी गई कि शुरुआत में विदेशों से आए लोगों और बाद के दिनों में तबलीगी जमात के कारण संक्रमण का फैलाव हुआ तो अब ट्रेनों के माध्यम से बड़ी संख्या में अन्य प्रदेशों से आने वाले प्रवासियों के कारण चुनौती उत्पन्न हुई है. अभी तक करीब 80 से अधिक ट्रेनों के जरिए करीब एक लाख से ज्यादा प्रवासी बिहार आ चुके हैं. राज्य में पीपीई किट, मास्क, सेनेटाइजर आदि की कोई कमी नहीं है.