Friday, March 14, 2025
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coronavirus: Google decide to publish User location data amidst lockdown| कोरोना वायरस से निपटने में GOOGLE ने लिया अहम फैसला, सरकारों की मदद के लिए यूजर लोकेशन डेटा प्रकाशित करने का फैसला

पेरिस: गूगल ने पूरी दुनिया के अपने उपयोगकर्ताओं के लोकेशन डेटा साझा करने का फैसला किया है ताकि सरकारें कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए उनकी तरफ से उठाए गए सामाजिक दूरी संबंधी उपायों के प्रभाव को सही-सही आंक सके.

प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी के ब्लॉग पर एक पोस्ट के मुताबिक 131 देशों में उपयोगकर्ताओं की आवाजाही पर रिपोर्ट विशेष वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी और भूगोल की मदद से समय दर समय आवाजाही की स्थिति अंकित होती रहेगी.

गूगल मैप्स के प्रमुख जेन फिट्जपैट्रिक और कंपनी की मुख्य स्वास्थ्य अधिकरी केरेन डीसाल्वो की पोस्ट में कहा गया कि ये रुझान, पार्क, दुकानों, घरों और कार्यस्थल जैसे स्थानों तक हुए दौरों में प्रतिशत प्वाइंट के हिसाब से बढ़ोतरी या कमी को प्रदर्शित करेगा न कि एक व्यक्ति कितनी बार इन स्थानों पर गया यह बताएगा.

उन्होंने बताया कि उदाहरण के लिए फ्रांस में आंकड़ों के मुताबिक सामान्य दिनों के मुकाबले रेस्तरां, कैफे, बाजार, संग्रहालय और थीम पार्क जाने वालों की संख्या में 88 प्रतिशत की कमी आई है. वहीं स्थानीय लॉकडाउन घोषित होने के बाद स्थानीय दुकानों में जाने वालों की संख्या में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पहले 72 प्रतिशत की कमी आई थी.

गूगल के कार्यकारी ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि इन रिपोर्ट से कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के लिए निर्णयों में मदद मिलेगी.’’

उन्होंने कहा, ‘‘इन सूचनाओं से अधिकारियों को आवश्यक यात्राओं में बदलाव को समझने में मदद मिलेगी जिसके अनुरूप सामान के वितरण और कारोबार का समय निर्धारित कर सकेंगे.’’

गूगल ने स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत पहचान करने वाली सूचना जैसे व्यक्ति का स्थान, संपर्क या आवाजाही ब्लॉग पर उपलब्ध नहीं कराई जाएगी.

उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में सांख्यिकी तकनीक का इस्तेमाल कर मूल आंकड़ों में ‘कृत्रिम शोर’ का मिश्रण किया जाएगा ताकि किसी की पहचान करना मुश्किल हो.

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए चीन से लेकर सिंगापुर और इजराइल की सरकार ने अपने नागरिकों की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के आदेश दिए हैं. इस संक्रमण से अबतक दुनिया में 50 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

यूरोप और अमेरिका में प्रौद्योगिकी कंपनियां स्मार्टफोन का गोपनीय डेटा साझा करना शुरू कर चुकी हैं ताकि महामारी को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सके. यहां तक की निजता के अधिकारों के समर्थक जर्मनी भी स्मार्टफोन ऐप का इस्तेमाल संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए करने पर विचार कर रहा है.

निजता अधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि अधिनायकवादी सरकारें कोरोना वायरस संक्रमण का इस्तेमाल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने और निगरानी बढ़ाने में कर रही हैं.

वहीं, उदारवादी लोकतांत्रिक देशों और अन्य को यह भय सता रहा है कि डाटा एकत्र करने से निजता और डिजिटल अधिकारों पर दीर्घकाल में विपरीत प्रभाव पड़ेगा.

(इनपुट: एजेंसी एएफपी)




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