नई दिल्ली:
कोरोना वायरस की महामारी के बीच प्रवासी मजदूरों की बदहाल स्थिति पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मामले की सुनवाई की. लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों के सामने रोजगार का संकट है और वे घर लौटने को मजबूर हैं. इस दौरान कई मजदूरों को दुर्घटना का शिकार होकर जान भी गंवानी पड़ी है. सरकार ने मजदूरों के लिए विशेष ट्रेनें चलाई हैं लेकिन इसमें भी पर्याप्त अव्यवस्था है. सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सॉलिसटर जनरल (SG) तुषार मेहता से कई तीखे सवाल पूछे.
सुनवाई से संबंधित 10 खास बातें..
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वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा-मामला अर्जेंट है इसलिए आज ही सुनवाई कर आदेश जारी किए जाएं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम आदेश जारी करेंगे लेकिन इससे पहले केंद्र सरकार के पक्ष को सुनेंगे.
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सॉलिसटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रवासी मजदूरों से संबंधित कुछ घटनाएं हुई हैं जिन्हें बार- बार दिखाया जा कहा हैलेकिन केंद्र और राज्य सरकार इस पर काम कर रही हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा-सुप्रीम कोर्ट – इसमें कोई शक नहीं कि केंद्र काम कर रहा है लेकिन राज्यों से लोगों को ज्यादा लाभ नहीं मिल रहा है.
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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ खास जगहों पर कुछ ऐसे वाकये हुए जिससे मज़दूरों को परेशानी उठानी पड़ी लेकिन हम (सरकार) शुक्रगुजार हैं बेंच के कि माइलॉर्डस ने इस मामले में संज्ञान लिया. सरकार ने मजदूरों के लिए सैकड़ों ट्रेन भी चलाई उनके लिए खाने-पीने का बजट बनाकर राशि भी मुहैया कराई. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा िकि सरकार ने तो कोशिश की है लेकिन राज्य सरकारों के ज़रिए ज़रूरतमंद मजदूरों तक चीजें सुचारू रूप से नहीं पहुंच पा रही हैं.
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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई स्पष्टता नहीं थी कि प्रवासी श्रमिकों का किराया कौन देगा और बिचौलियों द्वारा इस भ्रम का पूरा फायदा उठाया गया. इस पर केंद्र ने जवाब दिया कुछ भेजने वाले राज्यों ने दिया, कुछ जहां पहुंचे उन्होंने दिया. कुछ राज्य अभी दे रहे हैं और रेलवे ने सभी को मुफ्त खाना पानी उपलब्ध कराया.
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जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बड़ी समस्या प्रवासियों के परिवहन और उन्हें भोजन प्रदान करने की है तो केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि रेलवे ने 84 प्रवासियों को खाना दिया. यह भी बताया गया कि बिहार और यूपी के बीच 350 ट्रेन चलाई जा रही हैं.
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कोर्ट ने पूछा कि प्रवासियों को स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक समय का अनुमान क्या है, क्या व्यवस्था की जा रही है, मैकेनिज्म क्या है और क्या लोगों को पता है कि उन्हें 5 वें दिन, 7 वें दिन या 10 वें दिन भेजा किया जाएगा? इस पर केंद्र ने कहा कि हमने 1 करोड़ से अधिक प्रवासी श्रमिकों को स्थानांतरित कर दिया हैलेकिन ऐसे लोग भी हैं जो गतिविधियों को फिर से खोलने के कारण नहीं जाना चाहते.प्रवासियों को चिंता या स्थानीय स्तर पर लोगों के भडकाने के कारण पैदल चलना पड़ रहा है. जहां उन्हें कहा जाता है कि अब ट्रेने नहीं चलेंगी, लॉकडाउन बढेगा इसलिए पैदल चले जाओ.
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SC ने कहा कि ऐसे उदाहरण भी हैं जहां एक राज्य प्रवासियों को भेजता है लेकिन सीमा पर राज्य कहते हैं कि हम प्रवासियों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं. हमें एक नीति की आवश्यकता है. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा, सब कुछ राज्यों द्वारा सहमति पर हो रहा है, इस पर कोई विवाद नहीं है. कोई भी राज्य नहीं है जो प्रवासी के प्रवेश से इनकार करता है. सब नागरिक भारतीय नागरिक है.
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मामले में जरूरी निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा कि जो प्रवासी श्रमिको को सड़कों पर चलते हुए पाया जाए उन्हें तुरंत शेल्टर होम में ले जाया जाए और उन्हें भोजन उपलब्ध कराया जाए और उन्हें सभी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए.
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कोर्ट ने कहा कि प्रवासियों की संख्या के बारे में सभी आवश्यक विवरण, पंजीकरण और परिवहन के मैकेन्जिम की योजना और अन्य विवरण जवाब में रिकॉर्ड पर लाया जाना चाहिए.कोर्ट ने इसके लिएअगले शुक्रवार तक का समय दिया. अगली सुनवाई पांच जून को होगी. ढाई घंटे सुनवाई चली.
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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश दिया कि किसी प्रवासी मजदूर से घर जाने की यात्रा का एक पैसा भी किराया नहीं वसूला जाए. सारा व्यय राज्य वहन करें जहां मजदूर रह रहा है या यात्रा शुरू हो रही है वो राज्य या जहां उसे जाना है वो राज्य… ये राज्य आपस में तय कर ले.रास्ते मे मजदूरों के खाने पीने और आश्रय का इंतज़ाम राज्य सही ढंग से करें.
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