रायपुर. कोविड-19 (COVID-19) के मामले में छत्तीसगढ़ धीरे-धीरे ‘लाल’ होता जा रहा है. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बीच केंद्र सरकार ने राज्यों को कलर जोन के निर्धारित करने का अधिकार दिया. इसके बाद छत्तीसगढ़ (Chhattsgarh) सरकार ने राज्य के सभी 28 जिलों का साप्ताहिक कलर जोन निर्धारण कर दिया. छत्तीसगढ़ में बीते 10 दिनों से प्रदेश में तेजी से बढ़े कोरोना संक्रमण की वजह से रेड जोन का दायरा लगातार बढ़ रहा है.
कलर जोन निर्धारण में जहां एक ओर प्रदेश में रेड जोन (Red Zone) की संख्या बढ़ी रही है, वहीं रायपुर जिले को सूची में शामिल नहीं किया गया है. इसका मतलब यह माना जा रहा है कि राजधानी का जिला ग्रीन जोन में शामिल किया है. हालांकि राजधानी में तीन दिन पहले ही एक कोरोना पॉजिटिव (Coronavirus) मरीज की पुष्टि हुई है. जबकि पिछली सूची में रायपुर जिले को ऑरेंज जोन में रखा गया था, हालांकि की इस बार भी राज्य सरकार ने जिले के बदले विकासखण्ड को रेड, ऑरेंज, ग्रीन में शामिल किया है.
जानिए कौन कौन सा जिला/विकासखण्ड रेड जोन में
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से कोविड-19 के तहत कलर जोन निर्धारण किया है. राज्य सरकार ने विकासखंड को कलर जोन में बांटा है. पिछले सप्ताह जहां महज 03 जिले के 04 विकासखंड को रेड जोन शामिल किया गया था, वहीं इस सप्ताह 09 जिले के 13 विकासखण्ड को रेड जोन में रखा गया है जिसमें बालोद जिले के डौंडीलोहारा, कोरबा जिले का कोरबा, मुंगेली जिले का मुंगेली, रायगढ़ जिले का रायगढ़ शहरी, राजनांदगांव जिले का छुरिया, अम्बिकापुर जिले का अम्बिकापुर, बिलासपुर जिले के कोटा, मस्तूरी, तखतपुर, बिल्हा, बिलासपुर शहरी, कवर्धा जिले का पंडरिया, बलौदाबाजार जिले का बलौदाबाजार विकासखण्ड को रेड जोन में शामिल किया गया है.
ऑरेंज जोन में 18 जिले के 40 विकासखंड
बालोद, डौंडी, गुण्डरदेही, बलौदा, बम्हनीडी, नवागढ़, सक्ति, बिलाईगढ़, सिमगा, पलारी, कसडोल, बकावण्ड, बास्तानार, गीदम, गुजरा, कुरूद, नगरी, धमतरी शहरी, पाटन, निकुम, लोरमी, लैलूंगा,
आखिर कैसे तय होता है यह कलर जोन
केंद्र सरकार के गाइडलाइन के अनुसार कलर जोन के लिए दो श्रेणियां क्रिटिकल और डिजायरेबल रखी गई हैं. क्रिटिकल श्रेणी तब मानी जाएगी जब एक लाख आबादी पर 15 कोरोना केस पिछले सात दिनों में, डबलिंग रेट 14 दिन, मृत्यु दर 6 फीसदी, प्रति लाख टेस्ट 65 और नमूनों के पॉजीटिव होने की दर 6 फीसदी हो गई हो. डिजायरेबल श्रेणी में एक लाख आबादी पर शून्य मामले, डबलिंग रेट 28 दिन, मृत्यु दर एक फीसदी, प्रति लाख पर 200 टेस्ट तथा नमूनों के पॉजीटिव होने की दर दो फीसदी होनी चाहिए, तय गाइडलाइन के साथ ही केंद्र सरकार ने स्प्ष्ट किया है कि समय-समय पर इन मानकों को बदलाव सम्भव है.
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