Friday, November 22, 2024
HomeBreaking Newsकोविड सेंटर बना फांसी घर, मरीज फंदे पर झूला

कोविड सेंटर बना फांसी घर, मरीज फंदे पर झूला

कोरोना मरीज समीर की मौत पर उठे कई सवाल

11 फीट ऊंचे कुंदे पर कैसे झूला, रस्सी कहां से मिली, किसी ने देखा क्यों नहीं

धीरज चतुर्वेदी, छतरपुर
छतरपुर जिले मे कोरोना से अधिक मरीजों को भर्ती रखने वाले कोविड सेंटर प्रताड़ना गृह बनते जा रहे, आम जनता यही सवाल पूछ रही है। महोबा रोड के पर आज तड़के कोरोना मरीज 34 वर्षीय समीर कि मौत का मामला संदिग्ध हो चला है।

सवाल उठाती घटनास्थल की तस्वीर

कोविड सेंटर मे रस्सी कैसे पहुंची? लगभग 11 फुट कि ऊचाई पर लगे कुंदे मे कैसे रस्सी बँधी? मृतक के घुटने फर्श पर मुडे हुए थे तो आखिर क्यो? मृतक के गले मे रस्सी की गांठ गाल पर दिख रही है? समीर ने आत्महत्या कि है तो उसे मानसिक प्रताड़ना का जवाबदेह कौन है? क्या कोविद सेंटर कि अव्यवस्थाएं कोरोना मरीज के लिये अवसाद ( डिप्रेशन ) का कारण बन घातक कदम उठाने के मजबूर कर रही है। क्या इन सवालों के जवाब कोई देगा?
आत्महत्या स्थल कमरे पर बारीकी से नजर डाली जाये तो कोविद सेंटर के कमरे कि फर्श से लेकर छत कि ऊचाई लगभग 11 फुट है। जहाँ फांसी पर झूलते युवक के पास करीब साढ़े तीन फुट कि अलमारी रखी हुई है। जिस कुंदे से लटककर आत्महत्या कि गई है वह अलमारी पर खड़े होने कि अवस्था पर भी थोड़ा दूर है।

आत्महत्या के पहले युवक ने किस तरह कुंदे मे रस्सी बाँधी होंगी यह जाँच का विषय है। खास बिन्दू है कि गले मे रस्सी का फंदा डालने के बाद मृतक अलमारी से कूदा होगा तभी नायलोन कि रस्सी का फंदा ढीला नहीं दिखाई दे रहा ओर शरीर के घुटने भी मुडे हुए फर्श पर पैर टिके हुए है। आखिर कैसे?
हालांकि बताया जा रहा है कि छतरपुर शहर के बसारी गेट निवासी 34 साल के समीर का सेम्पल 26 जुलाई को पॉजिटिव निकला था। जिसे महोबा रोड के कोविड सेंटर मे भर्ती किया गया। संक्रमित युवक अपने परिजनों से शिकायत करता रहा कि उसके गले मे तकलीफ है जिस कारण खाना खाने मे उसे तकलीफ होती है।

मृतक के भाई रशीद ने बताया कि समीर को भोपाल मे उपचार के लिये ले जाना चाहते थे। जिला प्रशासन इसके लिये तैयार नहीं था। हो सकता है कि युवक डिप्रेशन का शिकार होकर आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर हो गया हो। प्रशासन के कोरोना मरीज को भर्ती किये जाने वाले सेंटर अपनी बदइंतजामी के कारण सुर्खिया बनते रहे है। इन सेंटर कि असलियत खोलने वाले कई वीडियो वायरल हुए, लेकिन प्रशासन ने सच को स्वीकार करने के बजाय आवाज़ को कुचलने के लिये पूरी ताकत झोकी। काश अगर सच को स्वीकार कर व्यवस्था चाकचौबंद होती तो एक युवक आत्महत्या करने के लिये मजबूर नहीं होता।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RECENT COMMENTS

casino online slot depo 10k bonus new member slot bet 100