नोएडा के हाईवे पर हमारी गाड़ी तेज रफ्तार से जब दौड़ रही थी तो मेरी नज़र दोनों तरफ बनी ऊंची ऊंची इमारतों पर थी. ग्रेटर नोएडा के सादुल्लापुर गांव के ग्राम प्रधान तीन बार हमारे ऑफिस आये लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई. जब फ़ोन पर बात हुई तो उनकी आवाज़ में एक शिकायत भी थी और दर्द भी. कहने लगे कि मीडिया उनकी समस्या को लेकर गंभीर नहीं है. प्रधान कई जगह गए, कई पत्रकारों से मिले लेकिन किसी ने उनके गांव की समस्या नहीं उठाई. मेरे मन में सवाल उठ रहा था कि जिस नोएडा में इतने सारे न्यूज़ चैनल हैं वहां ये ख़बर करने कोई क्यों नहीं गया. जब कोई नहीं गया, तो हम ही हालात देखने चले गए. कुछ ही देर में हाईवे पीछे छूट गया, धीरे-धीरे हमारी गाड़ी गांव के पास पहुंची. रास्ता ठीक नहीं था तो हम गाड़ी से उतर कर आगे बढ़ गए. किसी ने प्रधान के घर पहुंचा दिया.
प्रधान पहले ही हाथ में शिकायतों का पुलिंदा लेकर बैठे हुए थे. साथ में कई और लोग भी थे. बार-बार दूसरों को भी फ़ोन मिला रहे थे, बुला रहे थे. ऐसा लग रहा था कोई पत्रकार नहीं कलेक्टर आया है जो उनकी समस्या का समाधान कर देगा. प्रधान कहने लगे कि गांव के लोग डरे हुए हैं, बिजली विभाग से डरे हुए हैं, पुलिस से डरे हुए हैं, पता नहीं कब फर्जी केस लगाकर फंसा दें. उनके ऊपर भी फर्जी केस लगाया गया था, FIR की गई थी. लेकिन डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट समझदार था इसलिए जेल जाने से बच गए. आज भी गांव के लोगों के अंदर वही डर है. लोग खुलकर बात करने के लिए डर रहे हैं. पहले हमें विश्वास नहीं हुआ कि ऐसा हो सकता है. हमें लगा गांव के लोगों की गलती होगी नहीं तो उनके खिलाफ कोई फर्जी बिल और FIR ऐसे कैसे कर सकता है. प्रधान जब एक-एक कागज दिखाने लगे तो मेरे मन में जो शक था वो दूर होने लगा.
प्रधान ने छह गांव के ग्राम प्रधान के लेटर भी दिखाए जिसमें सब ने शिकायत की है कि कैसे गांव के लोगों से ज्यादा बिजली बिल लिया जा रहा है. फर्जी बिजली बिल भेज दिया जाता है. नहीं देने पर FIR किया जाता है, जेल भेजने की धमकी दी जाती है. कई जगह शिकायत की गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. मुख्यमंत्री से लेकर बिजली मंत्री तक, हर दरवाज़े पर दस्तक दे चुके हैं लेकिन किसी ने एक न सुनी. प्रधान ने बताया कि गांव के लोगों से शहर के रेट से बिजली बिल लिया जाता है. शहर के हिसाब से 18 घंटे बिजली मिलनी चाहिए लेकिन सिर्फ 10 घंटे बिजली मिलती है. बिजली विभाग अपनी मर्जी से बिल भेजता है. साथ में पुलिस लेकर आते हैं. लोगों को आतंकित कर रखा है. पहले तो बिल ज्यादा भेजते हैं फिर दलाल के जरिये उसे कम करते हैं. जिसमें दलाल और बिजली विभाग दोनों को फायदा होता है लेकिन नुकसान आम लोग और सरकार को होता है. प्रधान की बातों पर हमें विश्वास नहीं हुआ लेकिन पास में बैठे दूसरे लोग भी यही बात कहने लगे.
प्रधान खुद हमें गांव के लोगों की समस्या दिखाने ले गए. सब ऐसे देख रहे थे जैसे गांव में मीडिया पहली बार आया हो. एक डर तो था लेकिन लोग धीरे धीरे खुलने लगे. सब अपने घर ले जाना चाहते थे. बुध सिंह को जैसे ही पता चला कि हम मीडिया से हैं तो घर से कागज लेने चले गए. बुध सिंह ने अपने पास रखे सभी कागज दिखाये. उनके खिलाफ लगे 77662 रुपये के जुर्माने का कागज भी दिखाया और FIR की कॉपी भी. बुध सिंह का बिजली कनेक्शन पहले से है, बिल भी दे रहे हैं. बिजली विभाग ने यह सब नहीं चेक किया. कई महीने तक भागदौड़ करने के बाद बिजली विभाग के अफसर ने अपनी गलती मानी और जुर्माने के साथ-साथ FIR भी वापस लिया गया. बिजली विभाग ने खुद लिखकर दिया है कि बिजली विभाग की तरफ से गलती हुई है. सबसे बड़ा सवाल है कि इतने बड़े राज्य के बिजली विभाग से इतनी बड़ी गलती कैसे हो सकती है. जब किसी का कनेक्शन पहले से है, बिल दे रहा है तो बिजली विभाग के पास इसकी जानकारी क्यों नहीं है?
इस तरह कई लोग हमें मिले जो फ़र्ज़ी बिजली बिल के शिकार हुए हैं और उनके खिलाफ FIR हुई है. फिर बाद में बिजली विभाग ने अपनी गलती मानते हुए केस वापस किया है. ऐसा क्यों हो रहा है? यह सवाल जब हमने लोगों से पूछा तो लोगों का कहना था कि पहले ज्यादा बिल भेजा जाता है, फिर कानून का डर दिखाते हुए लोगों के ऊपर दवाब डाला जाता है, फिर दलालों की एंट्री होती है. एक लाख के बिल को 50000 में सेटल किया जाता है. कुछ पैसा दलाल को मिलता है तो कुछ बिजली विभाग के लोगों को. यह बहुत गंभीर आरोप है. उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग और बिजली मंत्री को संज्ञान लेते हुए जांच करना चाहिए. गांव में घूम रहे थे तो एक युवा दो बिजली बिल लेकर हमारे पास पहुंच गया. दोनों ऑनलाइन बिल हैं. पहला बिल सुबह 9.58 मिनट पर निकाला गया था, दूसरा बिल सुबह 10.37 मिनट पर. दोनों बिल के बीच महज 39 मिनट का फर्क था. लेकिन पैसे में ज़मीन आसमान का.
जैसे जैसे गांव में हमारा समय बीतता जा रहा था, हमारे सामने नए नए केस सब सामने आ रहे थे. गांव के लोगों ने हमे जयवीर के घर पहुंचा दिया. गेट खोलकर अंदर गए तो एक चारपाई पर कुछ बच्चे बैठे हुए थे. पता चला कि वो सब उस जयवीर के बच्चे हैं जो इस दुनिया में नहीं हैं. जयवीर की मां जयवीर की फोटो लेकर हमारे पास पहुंची. फ़ोटो दिखाते हुए बोली कि लाखों की बिजली बिल बकाया था. बिजली बिल चुकाने के लिए जयवीर ने 75000 हज़ार लोन लिया. बिजली विभाग से दबाव था. बिजली बिल न चुकाने पर जेल जाने का भी डर था. जयवीर को लगता था कि वो कर्ज चुका नहीं पायेगा. तनाव में कुछ दिन के बाद आत्महत्या कर ली. जयवीर के तीन छोटे छोटे बच्चे हैं. जयवीर की मां को यह समझ नहीं आ रहा है कि बच्चों की परवरिश कैसे करें. बकाया बिल कैसे दें?
कुछ देर के बाद हम जयवीर के घर से निकल गए. रास्ते में जा रहे थे तो कमला देवी घर के दरवाज़े के पास खड़ी थीं. शायद उसे पहले से ही पता था कि मीडिया वाले गांव में आये हैं. हमें अपने घर ले गई. शायद इस उम्मीद से कि उसकी समस्या का समाधान हो जायेगा. कमला देवी ने बताया कि उनके पति ईश्वर सिंह की मौत चार साल पहले हो गई थी. छह बच्चे हैं. कमाने के लिए घर में कोई नहीं है लेकिन अभी हज़ारों में बिल बकाया पड़ा है. बिजली विभाग कई महीने पहले मीटर उठा कर ले गया है और बिजली का कनेक्शन भी काट दिया है. लेकिन फिर भी पुराने बिल सब आ रहे हैं. कमला देवी ने एक बिल दिखाया जिसमें 66000 के करीब बिल बकाया है.
हर किसी की कहानी अलग थी, कमला देवी के बाद हम मुन्नी के घर चले गए. गेट खोलकर अंदर गया तो कोई नहीं मिला. एक छोटा सा कमरा जिसमें लाइट नहीं थी. अंधेरा छाया हुआ था घर के अंदर गए तो कोई नहीं मिला. पता चला कि मुन्नी और उनके पति का देहांत कई साल पहले हो चुका है. मुन्नी के चार बच्चे हैं जिनकी देखभाल रिश्तेदार सब कर रहे हैं. पड़ोसी ने कमरे से एक बिल ढूंढ निकला जिसमें 132500 का बिल बकाया लिखा हुआ था. सवाल यह है कि मुन्नी का बिल कौन चुकाएगा? जब मुन्नी और उसका पति इस दुनिया में नहीं है तो चार छोटे-छोटे बच्चे बिल कैसे चुकाएंगे.
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मुन्नी के घर से वापस आ रहे थे तो बलराज सिंह रास्ते में मिल गए. हमारे हाथ पकड़ कर गेट के अंदर ले गए, बोले कुछ देर इंतज़ार कीजिये कुछ दिखाना चाहता हूं. घर से बिल लेकर आये और दिखाते हुए बोलने लगे कि बिजली विभाग के कर्मचारी किसी दूसरे का तार काटने के लिए बिजली के खंभे पर चढ़े थे लेकिन गलती से बलराज का तार काट दिया. जब गलती का एहसास हुआ तो तार तो जोड़ दिया लेकिन काटने और जोड़ने के लिए बलराज से 600 रुपया ले गया.
गांव वालों से बिजली विभाग बिल तो ले रहा है लेकिन गांव में बिजली की समस्या को लेकर वो गंभीर नहीं है. अभी भी गांव में कई लोहे के खंभे हैं जो नाली से सटे हुए हैं. गाहे-बगाहे इनमें करंट आता है और जानवरों की जान चली जाती है. एक युवा ने बताया कि कई बार कंप्लेन किया जा चुका है लेकिन बिजली विभाग सुनने के लिए तैयार नहीं है.
दिन भर गांव में बिताने के बाद शाम हो गई थी. मोबाइल की बैटरी डिस्चार्ज हो चुकी थी. हमारा इरादा दूसरे गांव भी जाने का था लेकिन एक गांव में इतनी कहानियां थीं कि समय कम पड़ गया. गांव से ऑफिस के तरफ आते वक्त ग्रेटर नोएडा के रास्ते में लगे बड़े-बड़े बिजली के खभे अंधेरे को दूर तो कर रहे थे लेकिन यही बिजली छह गांव के लोगों की ज़िंदगी मे अंधेरा ले आई है. बिजली बिल से लोगों को जानलेवा झटके लग रहे हैं. थकावट की वजह से आंख लग गई थी. एक गाना सुनकर उठा तो ओला ड्राइवर ने कहा यह मथुरा का भजन है. मथुरा से याद आया उत्तर प्रदेश के बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा भी मथुरा से हैं. उम्मीद पर दुनिया कायम है, उम्मीद करते हैं कि श्रीकांत शर्मा जांच करवाएंगे और लोगों को न्याय दिलवाएंगे.
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