बीजिंग: अब तक कोविड-19 महामारी को लेकर किसी भी तरह की जांच के लिए साफ तौर पर इनकार करने वाला चीन आखिर झुक गया है. उसने शुक्रवार को कहा कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के तहत बने पैनल से “खुले, पारदर्शी और समावेशी” जांच कराने के लिए तैयार है. इसमें कोरोनोवायरस महामारी की वैश्विक प्रतिक्रिया को लेकर समीक्षा की जाएगी. विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, ‘महामारी के खत्म होने के बाद एक उचित समय पर पारदर्शी और समावेशी तरीके से समीक्षा की जानी चाहिए.’
हुआ ने कहा कि यह समीक्षा डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडहोम घेब्रेयेसस के नेतृत्व में की जानी चाहिए. चीन पर कोविड-19 की उत्पत्ति की पारदर्शी जांच कराने को लेकर वैश्विक दबाव है, क्योंकि यह वायरस एक वैश्विक महामारी बन गया है, जिसके कारण अमेरिका सहित कई यूरोपीय देशों में दो लाख से अधिक लोगों की इससे मौत हो गई है. दुनिया में इस वायरस ने सबसे ज्यादा कहर अमेरिका पर बरपाया है.
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने बार-बार इसे ‘वुहान वायरस’ कहते हुए जांच की मांग की है और आरोप लगाया है कि डब्ल्यूएचओ ‘चीन को लेकर पक्षपाती’ है. ट्रंप ने कहा है कि वायरस वुहान में एक प्रयोगशाला से पैदा हुआ है, इसे अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ द्वारा भी दोहराया गया है. हालांकि, चीन ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है.
ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूके और जर्मनी ने भी वायरस को लेकर स्वतंत्र जांच के लिए मांग की है क्योंकि कई विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया गया है कि डब्ल्यूएचओ को 31 दिसंबर, 2019 को चीन द्वारा इसकी जानकारी देने से बहुत पहले यह वायरस पैदा हो चुका था.
इस वायरस से चीन में 82,886 लोग संक्रमित हुए और 4,633 लोगों की जान गई. जबकि वैश्विक मौत का आंकड़ा 2,69,584 से अधिक हो गया है और 38 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं. वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका में 75,000 से अधिक लोग इस वायरस के कारण अपनी जिंदगी खो चुके हैं.