न्यूयॉर्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) अपने फैसलों और बयानों को लेकर लगातार विवादों में घिरे रहते हैं. कोरोना काल में ऐसे मामलों में और इजाफा हुआ है. अमेरिका में ऑनलाइन शिक्षा (Online Education) ले रहे विदेशी छात्रों के वीजा (Visa) रद्द करने के ट्रम्प प्रशासन के ‘निर्दयी’ फैसले ने भी विवाद को जन्म दे दिया है. इस फैसले के खिलाफ जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय (John Hopkins University) ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है.
इससे पहले हार्वर्ड (Havard) और एमआईटी (MIT) जैसे प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थान भी अमेरिकी प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर कर चुके हैं.
दरअसल, बीते सोमवार को ट्रम्प प्रशासन (Trump Administration) ने नए नियमों की घोषणा की थी, जिसके तहत अमेरिका में शिक्षा प्राप्त करने वाले उन्हीं विदेशी छात्रों (Student Visa) को देश में रहने की अनुमति दी जाएगी जोकि आने वाले सत्र (सितंबर से दिसंबर) में किसी भी संस्थान में व्यक्तिगत तौर पर कक्षाएं ले रहे होंगे.
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ऐसे में केवल ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने वाले विदेशी छात्रों को वापस लौटना होगा. जबकि कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने कोविड-19 महामारी के कारण ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने का फैसला किया है. ऐसे में कई छात्रों को मजबूरन अमेरिका छोड़ना पड़ेगा.
इसे लेकर जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय ने शुक्रवार को संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया है. विश्वविद्यालय ने कहा है कि ट्रम्प प्रशासन के इन नए नियमों के कारण विश्वविद्यालय में ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने वाले करीब 5,000 विदेशी छात्र प्रभावित होंगे.
विश्वविद्यालय ने कहा है, ‘व्यक्तिगत कक्षाओं में दाखिला नहीं लेने वाले विदेशी छात्रों को वापस उनके देश भेजे जाने के नए नियम से जॉन हॉपकिन्स को ‘अचानक और अप्रत्याशित’ झटका लगा है.’
वाशिंगटन की जिला अदालत में दायर अपनी शिकायत में विश्वविद्यालय ने नए वीजा नियमों के प्रस्ताव पर अस्थायी निरोधक आदेश जारी करने का अनुरोध किया है.
वहीं विश्वविद्यालय के अध्यक्ष रोनाल्ड जे डेनियल्स ने कहा, ‘ प्रशासन का यह निर्णय अनावश्यक, निर्दयी और प्रतिकूल है.’
गौरतलब है कि ट्रम्प प्रशासन के इस फैसले से अमेरिका में शिक्षा ग्रहण करने वाले हजारों भारतीय छात्र भी प्रभावित होंगे.