- वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार हैं संजीव सान्याल
- आजतक के e-एजेंडा कार्यक्रम में शामिल हुए सान्याल
- सान्याल ने APMC एक्ट में बदलाव को ऐतिहासिक कदम बताया
केंद्र सरकार द्वारा 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज के तहत ही कई बड़े नीतिगत बदलाव भी किए जा रहे हैं. इसी के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी (APMC) एक्ट में भारी बदलाव की घोषणा की. आजतक के ई-एजेंडा कार्यक्रम में शनिवार को आए वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार (PEA) संजीव सान्याल ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इससे करीब 700 साल पहले की अलाउद्दीन खिलजी के जमाने की व्यवस्था खत्म हो जाएगी.
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संजीव सान्याल ने कहा, ‘पहले किसानों को एक ही जगह, किसी खास मंडी में ही बेचने की व्यवस्था थी, लाइसेंस परमिट राज था. उद्योगों के लिए तो 30 साल पहले यह राज खत्म कर दिया गया, लेकिन किसानों के लिए क्यों नहीं. इसलिए इसे खोला जा रहा है कि किसान जिसे चाहे, जहां चाहे अपना उपज बेच सकता है.’
उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था करीब 700 साल पहले अलाउद्दीन खिलजी के जमाने से चली आ रही थी. इससे सबसे बड़ा नुकसान उनको होगा जो इंस्पेक्टर राज चलाते थे. पहले इंस्पेक्टर पैसा बनाते थे, अब इनको सिस्टम से निकाल दिया है. इससे न तो किसानों को फायदा होता था, न कि व्यापारी को. लाइसेंस परमिट राज खत्म होने से ग्राहकों, उद्योगपतियों सबको लाभ मिला है. इसी तरह कृषि उपज में बिचौलियों को खत्म कर देने से किसानों को फायदा होगा.’
5 किश्त में क्यों हो रहा राहत पैकेज का ऐलान
सान्याल ने कहा कि वित्त मंत्री की घोषणा में दो तरह की घोषणा होती है-जैसे मांग को बढ़ावा देने के लिए लोन आदि राहत की और दूसरी तरफ आर्थिक सुधार की भी. कोविड के बाद की दुनिया काफी अलग होगी. इसलिए हमें अपनी आर्थिक व्यवस्था को पूरी तरह से बदलना होगा.
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सान्याल ने कहा, ’20 लाख करोड़ खर्च करना आसान नहीं है, ये टैक्सपेयर्स का पैसा है. इसलिए हम काफी सोचसमझ कर कदम उठा रहे हैं. एक-एक कदम को समझा रहे हैं. राज्यों को अलग से कुछ पैकेज या ग्रांट मिलेगा या नहीं, इस पर सान्याल ने कहा कि राज्यों को भी राहत की जरूरत है.
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श्रम कानन में बदलाव मजदूरों के हित में
सान्याल ने कहा कि नए लेबर लॉज में श्रमिकों के हित में कई चीजें की गई हैं, जैसे सेफ्टी लॉज में बदलाव किया जा रहा है और इसे श्रमिकों के अनुकूल बनाया जा रहा है.इसी तरह सभी कामगारों को अप्वाइंटमेंट लेटर देने का प्रस्ताव किया गया है ताकि वे फॉर्मल आंकड़ों का हिस्सा बन सकें. अभी तक जो लेबर लॉज थे उनसे श्रमिकों को क्या फायदा मिला? उन्होंने कहा कि भारत के मजदूर मिडिल ईस्ट में जाकर बेहद सख्त लेबर लॉ के तहत काम कैसे कर लेते हैं?