भोपाल, ब्यूरो। किसी मासूम से, किसी किशोरी से, किसी महिला से दुष्कर्म की ऐसी कई खबरें आती हैं, जो इंसानियत को झकझोर देती हैं। दुष्कर्म की घटना में अपराधियों के आगे वे बेबस होती हैं, लाचारी में उनका जीवन तबाह कर दिया जाता है। कई बार समाज ऐसी महिलाओं को त्याग देता है। लेकिन अब समाज की धारणा बदल रही हैं। सरकार हो या समाज दुष्कर्म से पीड़ित महिलाओं को भी सम्मान की दृष्टि से देखा जा रहा है। एक और जहां सरकार और सामाजिक संस्थाएं इन महिलाओं को आश्रय उपलब्ध करा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर उनके वैवाहिक जीवन के लिए भी संकल्प पूरा कर रहे हैं। इसका सकारात्मक प्रभाव मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में देखने को मिल रहा है। निर्भया शेल्टर होम में दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं के विवाह के लिए अच्छे रिश्ते आ रहे हैं। शेल्टर होम के संचालक अफजल खान के अनुसार समाज में बदलाव की बयार देखने को मिल रही है। जब महिला के समक्ष विवाह का प्रस्ताव आता है तो वह महिला पहली मुलाकात में ही अपने बीते हुए पलों को खुलकर बताती है। कई मामलो में लड़के, उन लड़कियों और महिलाओं का सिर्फ वर्तमान देखकर विवाह करने को राजी हो जाते हैं। एक ऐसी ही कहानी है, जिसमें 11 वर्ष पहले एक बच्ची 13 वर्ष की थी, तब उससे दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया। इस वारदात के बाद वह गर्भवती हुई और उसे बेटा हुआ। आज जबकि उसका बेटा 10 साल का है, महिला का घर बस चुका है। समाज की सोच में आए सकारात्मक बदलाव के चलते आज महिला के पास पति और बच्चे के पास पिता है। परिवार का कहना है कि किसी महिला के साथ अगर जबरदस्ती में अपराध हुआ है तो उसके लिए महिला का क्या दोष है। भोपाल में दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं और बच्चों के लिए बनाए गए आश्रय स्थल में रेप पीड़िताओं से शादी करने के लिए कई युवक आगे आ रहे हैं। निर्भया शेल्टर होम में दो महिलाओं की शादी हो चुकी है। इसके साथ ही कुछ रिश्तों में बात फाइनल होने जा रही है। मध्य प्रदेश में भी ऐसी 4 शादियां हो चुकी हैं।
शेल्टर होम में रहने वाली युवतियों के विवाह के लिए बनाए जाने वाले बायोडाटा में साफ लिखा जा रहा है कि वे दुष्कर्म पीड़िता हैं। इससे किसी युवक को यह संदेश नहीं जाता कि महिला द्वारा कुछ छिपाया गया है। ऐसे में रिश्ते प्रगाढ़ होते हैं। समाजसेवी विभांशु जोशी ने कहा कि यह बहुत अच्छी खबर है कि समाज में बदलाव आ रहा है। लेकिन महिलाओं के भविष्य को ध्यान में रखकर कुछ और सुझाव भी शामिल किये जाने चाहिए। जैसे कि पहले यह पता करना चाहिए कि कोई युवा कहीं इसलिए तो शादी नहीं कर रहा कि उसे आर्थिक मदद मिल सके, क्योंकि दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं और उनसे हुए बच्चों को सरकारी सहायता मिलती है। ऐसे मामलों में शादी के बाद भी महिला की देखरेख के लिए एक संस्थागत इकाई बनाई जानी चाहिए, जो कि विवाह के बाद भी महिला के जीवन को सुगम बनाने में मदद कर सके।