धीरज चतुर्वेदी, छतरपुर।
भोपाल और इंदौर से दुखद खबरे आ रही है और कोरोना से मौत का आंकडा बढता जा रहा है। छतरपुर जिले का परिदृश्य देखे तो यहां के चिकित्सक कमाल कर रहे है। केन्द्र सरकार की नई डिस्चार्ज पालिसी कहती है कि कोरोना मरीज में अगर कोई लक्षण दिखाई नही दे रहे और तीन दिन तक उसे बुखार नही आ रहा है तो उस मरीज को दस दिन में डिस्चार्ज किया जा सकता है।
छतरपुर के चिकित्सक शाबासी के पात्र है कि उन्होने छह दिन में ही करोना संक्रमितो को छुटटी देना शुरू कर उम्मीदों की नई सुबह के साथ सूरज निकलने का नारा बुलंद कर दिया है। कोरोना मरीजों की घर वापसी को मेडिकल विशेषज्ञ जल्दीबाजी मानते हुये भविष्य के लिये गंभीर खतरा बता रहे है।
छतरपुर जिले में शनिवार 6 जून तक 933 सेमपल को जांच हेतु भेजा गया जिसमें से 36 सेम्पल पाजीटिव पाये गये । पिछले छह दिन में सात करोना संक्रमितो की संख्यां बढी है। एक ओर संख्यां बढ रही है तो दूसरी ओर स्वस्थ्य होने का दावा करते हुये संक्रमितो के डिस्चार्ज होने सिलसिला भी जारी है। आश्चर्य करने वाले नतीजे है कि छतरपुर जिले में रविवार 7 जून तक 36 में से मात्र 9 मामले एक्टिव है। 27 को अभी तक डिस्चार्ज कर दिया गया है। कुछ मरीज ऐसे है जिन्हे छह दिन के बाद ही स्वस्थ करार देकर उनकी घर वापसी कर दी गई है।
कुल मरीजो और डिस्चार्ज होने वाले संक्रमितो की छानबीन की गई तो आश्चर्यजनक परिणाम सामने आये है। खजुराहो में गुजरात से लोैटे मरीज को पिछली 31 मई को आइसीलोश वार्ड में भर्ती कराया गया था जिसे छह दिन बाद 7 जून को डिस्चार्ज कर दिया गया। इसी तरह ग्राम कूडं में 25 मई को एक, 28 मई को दो और 31 मई को एक संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। अब 90 साल के बुर्जुग सहित 4 साल की बच्ची और एक अन्य को डिस्चार्ज कर दिया गया है। एक संक्रमित को 2 जून को और बुर्जुग व बच्ची को 4 जून को छुट्टी दे दी गई। देखा जाये तो कूंड के संक्रमितों को भी महज 5 से 6 दिन में स्वस्थ मान लिया गया।
इसी तरह कैथोकर, राजपुरा, पनागर, और कालापानी गांव के संक्रमितो का हाल है जिन्हे गाईडलाईन के मुताबिक दस दिन भी आईसीलोशन में नही रखा गया। इन सभी को सात दिन के भीतर ही डिस्चार्ज कर होम क्वारेनटाईन होने की सलाह दी गई। कोरोना संक्रमितो के देशव्यापी आने वाली खबरो से मिलान किया जाये तो छतरपुर जिले का रिकवरी आंकडा शायद सबसे तेज होगा। आमजन सहित मेडिकल विशेषज्ञ भी यह हजम नही कर पा रहे है कि आखिर इतनी जल्दीबाजी क्यो है कि संक्रमितो को दस दिन भी आईसीलोशन में नही रखा जा रहा। नाम नही छापने की शर्त पर चिकित्सक व्यंग्य करते है कि कोरोना संक्रमितो की भी आत्मनिर्भर बनने के लिये जल्दी छुट्टी की जा रही है। जो भविष्य के लिहाज से बेहद गंभीर है। विशेषज्ञों का कहना है कि गांव में जाने वाला कितनी मर्यादा तक होम क्वारेटाईन रहेगा, यह अनिश्चित है। अगर उसमें पुनः लक्षण का प्रकोप हुआ तो वह अपने परिजनो सहित पडोसियो तक को संक्रमित कर सकता है। जिससे निपटना बेहद मुश्किल हो जायेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार छतरपुर जिले में जनसंख्यां के मापदंड से कमजोर दर्शाने वाले सेम्पलिंग के आंकडे है। बीस लाख से अधिक आबादी वाले छतरपुर जिले मे अभी सेम्पल जांच की संख्यां एक हजार भी पूरी नही हो पाई है। आबादी और सेम्पलिंग में इतना अंतर है कि खतरा अभी बरकरार है। वैसे भी छतरपुर जिले में सेम्पल अनुपात में संक्रमितो का आंकडा लगभग 4 प्रतिशत है। विशेषज्ञों के अपने तर्क है पर जिला अस्पताल के कोरोना से लडने वाले चिकित्सको का कहना है कि छतरपुर जिले के प्रतिरोधक क्षमता सशक्त होने से उनमें वायरस से लडने की अंदरूनी शक्ति अधिक है। इस कारण संक्रमण के शुरूआत में ही अपेक्षा से अधिक सार्थक परिणाम देखने को मिल रहे है।
तर्क और विर्तक के पहलू से अलग हट कर निष्कर्ष निकाला जाये तो अगर संक्रमितो की संख्यां को कम करके अगर अपने नंबर बढाने का हुनर का खेल चल रहा है तो यह आमजन के लिये जहर की तरह है। जिसके अशुभ परिणाम आने वाले दिनो में देखने को मिल सकते है।