- 4 दिन से भूख हड़ताल के जरिए मांग पूरी करने के लिए बना रहे दवाब
- न्यूज पेपर, लाइब्रेरी, सामूहिक नमाज और घड़ी की मांग पूरी करने पर अड़े
- सुरक्षा का हवाला देते हुए जेल प्रबंधन ने किया इंकार
भोपाल। राजधानी के सेंट्रल जेल में बंद हाई सिक्योरिटी के अंदर चार हार्डकोर कैदी भूख हड़ताल पर हैं। पिछले 4 दिन से लगातार भूख हड़ताल जारी है। कैदियों के भूख हड़ताल पर जाने की वजह से जेल प्रबंधन की परेशानियां बढ़ गई है। उनके स्वास्थ्य के लिए रोजाना डॉक्टर चेकअप कर रहे हैं। चारों सिमी की आतंकियों को साल 2017 में आजीवन सजा हो चुकी है। कैदियों की मांगों लेकर जेल प्रबंधन ने साफ इंकार कर दिया है। कैदियों की मांगे पूरी नहीं की जा सकती है। क्योंकि यह जेल की सुरक्षा का मामला है। खास बात है कि जेल में कैद होकर ब्रेक करने की आशंका पैदा हो सकती है। कारण भी स्पष्ट है। कैदियों ने घड़ी मांगी है और लायबेरी में काम के साथ न्यूज पेपर भी चाहिए। जेल प्रबंधन से सामूहिक नमाज, मुलाकात के दौरान टोपी नहीं पहनने के अलावा मुलाकात के दौरान लिखकर ले जाने की अनुमति मांगी गई है। वहीं हवाला दिया है कि मुलाकात में भूल जाने के कारण बताया है। जेल की सूचना बाहर जाने से प्रबंधन को अंशाका है कि कैदी जेल ब्रेक की कोशिश कर सकते हैं।
14 सितंबर से हड़ताल पर बैठे हैं
हाई सिक्योरिटी अंदर जेल में बंद होने के बाद अवैधानिक मांगों को लेकर हड़ताल 14 सितंबर से शुरू कर दी थी। 2 दिन बाद 16 सितंबर को जेल प्रबंधन को भूख हड़ताल की जानकारी मिली। इसके बाद कैदियों के स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक कमरुद्दीन पुत्र चांद मोहम्मद नागौरी मोहल्ला उज्जैन को साल 2017 में आजीवन सजा सुनाई गई थी। शिवली पुत्र करीम केरल निवासी को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। दोनों संगठन से जुड़े हुए थे। खास बात है कि आंतकियों को मांगों के लिए भड़काने के पीछे अबू फैजल और कामरान है। इन दोनों ने पहले भूख हड़ताल शुरू की थी। आतंकवादी और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते भोपाल की उच्च सुरक्षा इकाई में रखा गया है। भोपाल जेल प्रबंधन ने डीजी जेल को भी कैदियों के भूख हड़ताल के मामले की जानकारी दी है।
क्या कहते हैं अधिकारी
कैदियों की मांगों को लेकर डीजी आफिस को जानकारी दी है। सभी मांगें पूरी नहीं की जा सकती हैं। जेल प्रबंध ने फैसला किया है कि इससे सुरक्षा में खतरा हो सकता है। इसलिए कैदियों की मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा। पहले भी कई बार कोशिश कर चुके हैं। -राकेश भांगरे, जेल अधीक्षक, सेंट्रल जेल भोपाल