मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हार्वर्ड के छात्रों को बताईं छत्तीसगढ़ की विशेषताएं
बरसाती पानी को इकट्ठा करने और भूमिगत जल बढ़ाने की तकनीक का भी अध्ययन करेंगे अमेरिकी विवि के विद्यार्थी
अमेरिका का प्रसिद्ध हार्वर्ड विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ की ग्रामीण विकास की अभिनव योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बारी पर शोध करेगी। हार्वर्ड के छात्र बरसाती पानी को इकट्ठा करने और भूमिगत जल बढ़ाने की तकनीक का भी अध्ययन करेंगे।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय में “लोकतान्त्रिक भारत में जाति और राजनीति” विषय पर चर्चा में शामिल हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छात्रों को सम्बोधित किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ में कृषि व उससे सम्बंधित क्षेत्र में हुए अभिनवकारी पहल पर अपने अनुभवों को वहाँ उपस्थित नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं के समक्ष साझा किया। साथ ही आर्थिक मंदी के दौर में भी छत्तीसगढ़ में बढ़ी खरीदी सहित अन्य मुद्दों की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री से चर्चा के दौरान हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं को प्रदेश की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बारी ने इतना प्रभावित किया है कि उन्होंने प्रदेश में अध्ययन व शोध की अपनी इच्छा भी प्रकट की। विश्वविद्यालय के छात्र वर्षा जल का संचय कर भूजल स्तर बढ़ाने की विधियों पर शोध करेंगे।
महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की अवधारणा पर आधारित नरवा, गरवा, घुरवा और बारी योजना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सोच की उपज है। मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार प्रदीप शर्मा ने छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जनजीवन और उनके दैनिक कार्यकलापों का अध्ययन कर एक टीम के साथ मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में इस योजना को आकार दिया है।
अमेरिका प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री बघेल और उनकी टीम ने प्रदेश में निवेश आकर्षित करने के प्रयास के साथ छत्तीसगढ़ से जुड़े लोगों से भी मुलाकात की।
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बोस्टन मुलाकात साबित होगी मील का पत्थर
अमेरिकी प्रवास के दूसरे पड़ाव में मुख्यमंत्री बघेल 14 फरवरी को बोस्टन पहुंचे। वहां मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी और सोलन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के प्रोफेसर स्कॉट स्टर्न और सोशल प्रोग्रेस इम्पेरेटिव के सीईओ माइकल ग्रीन से मुलाकात की। इस मुलाकात में छत्तीसगढ़ राज्य के इकोनॉमिक एवं सोशल इंडेक्स, सोशल इकॉनमी सर्वे और सोशल ऑडिट सहित विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। यह मुलाकात छत्तीसगढ़ के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इसके पहले इस विषय पर इतने बड़े स्तर में सोशल इकोनॉमिक इंडेक्स के अध्ययन पर काम नहीं हुआ था।