इंदौर में नहीं संभल रही स्थिति, भोपाल में भी बढ़ रहे सरकारी मरीज, जमाती भी जिम्मेदार
भोपाल। देश भर में कोरोना के मामले बढ़ाने के लिए तबलीगी जमात मरकज जिम्मेदार हो, लेकिन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में जमात से ज्यादा दोषी इस बीमारी से लड़ रहा स्वास्थ्य विभाग है। भोपाल के कुल 166 मरीजों में से 94 अकेले हेल्थ डिपार्टमेंट से संबंधित हैं।
चौकानें वाली बात है कि एक-दो को छोड़ कर इनमें से कोई भी किसी कोरोना प्रभावित व्यक्ति के अस्पताल में उपचार से जुड़ा नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के सभी कोरोना मरीज मुख्यालय से ताल्लुक रखते हैं। कोविड-19 वायरस से मुकाबले की रणनीति बनाने वाले इस विभाग में कोरोना संक्रमण उच्च स्तर से फैला है। सबसे पहले विभाग के संचालक आईएएस जे. विजय कुमार पॉजिटिव पाए गए। उनके बाद प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल और उनके बाद दो अन्य IAS मिले। एक अपर संचालक, एक उप संचालक सहित, बाबू, चपरासी और ड्राइवर तक कोरोना की चपेट में आए। अब स्थिति यह है कि देश में हेल्थ डिपार्टमेंट का कोरोना हब बनने का पहला उदाहरण मध्यप्रदेश में है।
आकंड़े बताते हैं कि भोपाल में हेल्थ के 94 मरीजों के अलावा जमात के 20 मरीज हैं। जमातियों की तलाश के बीच पुलिस में यह वायरस पहुंचा और अब 20 पुलिसकर्मियों का इलाज हो रहा है। अन्य कोरोना प्रभावित लोगों की संख्या 31 बताई गई है।
कोरोना के इस आउटब्रेक से पहले मध्यप्रदेश की स्थिति बहुत अच्छी थी । इंदौर (544), उज्जैन (30), खरगौन (39) के साथ 26 जिलों में 938 मरीज हो गए हैं। जांच का दायरा बढ़ाने के साथ मरीज भी ज्यादा मिलने लगे हैं और मध्यप्रदेश अब देश में कोरोना प्रभावित राज्यों में चौथे स्थान पर आ गया है।