जबसे सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की खबर आई है, तभी से हर तरफ डिप्रेशन, सुसाइड से पहले मिलनेवाले साइन्स और इस तरह की मानसिक समस्याओं से कैसे अपने प्रियजनों को बचाया जा सकता है, इसी पर बात हो रही है। इस बात में कोई शक नहीं कि सुशांत का इस तरह दुनिया से चले जाना हम सभी को एक खालीपन से भर गया है। हम सुशांत को तो वापस नहीं ला सकते लेकिन उनकी बीमारी और आत्महत्या से बहुत कुछ सीख सकते हैं। ताकि दूसरे लोगों को इन स्थितियों में फंसने से बचा सकें…
सुसाइड की दर देश और दुनिया
-पूरी दुनिया में हर साल करीब 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं। इस हिसाब से हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। अगर सिर्फ अपने देश की बात करें तो हमारे देश में हर साल करीब 1 लाख लोग आत्महत्या करके अपना जीवन खत्म कर लेते हैं।
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– डब्लूएचओ के अनुसार, पूरी दुनिया में 15 से 30 साल की उम्र के जितने युवाओं की जान एक साल में जाती है, उनमें मौत का दूसरा बड़ा कारण आत्महत्या होती है। साथ ही 30 से 45 साल की उम्र में जितने लोगों की मृत्यु एक साल के अंदर होती है, उनमें मौत का तीसरा बड़ा कारण आत्महत्या होती है।
अवसाद के कारण सुशांत सिंह राजपूत ने उठाया आत्महत्या का कदम
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
-किसी भी व्यक्ति में निराशा चाहे कम समय के लिए हो या फिर लंबे समय के लिए हो, इस निराशा का बहुत बड़ा रोल होता है, किसी भी व्यक्ति द्वारा आत्महत्या का कदम उठाने में।
-निराशा से घिरे लोगों के मन में लगातार इस तरह के विचार आते रहते हैं कि अब स्थितियों को संभाला नहीं जा सकता। अपनी हालत को बेहतर करने का कोई तरीका नहीं बचा है। यही कारण है कि उनके अंदर उदासी बहुत गहरे तक बैठ जाती है। इस कारण उन्हें कोई उम्मीद की किरण नहीं दिखाई देती है।
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-व्यक्ति के मन में अपने काम, परिवार, दोस्तों और आस-पास के लोगों को लेकर एक निराशा भर जाती है। वह अपने किए हुए अच्छे काम और परिवार या दोस्तों के सपॉर्ट को भी पॉजिटिव तरीके से नहीं देख पाता है।
-ऐसे में व्यक्ति खुद को दूसरों के ऊपर एक तरह का बोझ समझने लगता है। उसे लगता है कि उसकी वजह से सब परेशान हैं। इसलिए वह लोगों और अपनी परेशानियों दोनों से दूर चले जाना चाहता है। ऐसे में आत्महत्या का ही विचार उसके मन में बार-बार आता है।
इन लक्षणों से पहचाने
– जो व्यक्ति निराशा और अवसाद से घिरा होता है वह हर समय दुखभरी बातें करता है। या उसकी बातों में हर समय एक तरह की निराशा झलकती है। ऐसा व्यक्ति जब भी किसी फ्रेंड या फैमिली मेंबर से बातें करता है तो पुनर्जन्म, डेथ के बाद लाइफ, आत्मा आदि विषयों पर बात करता है।
निराशा है आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह
-निराशा से घिरे होने की स्थिति में कुछ लोग अपने दोस्तों और परिवार से मिलना या बात करना भी कम कर देते हैं। आज के समय में हम व्यक्ति के सोशल मीडिया अकाउंट्स से उसकी पोस्ट्स के जरिए भी उसकी मानसिक स्थिति को समझ सकते हैं।
न उठाएं सुशांत सिंह राजपूत जैसा कदम, डिप्रेशन में जानें के बाद करें ये काम
-यदि आपका कोई फ्रेंड लगातार ऐसी पोस्ट शेयर कर रहा है, जिनमें निराशा, मृत्यु, दोबारा जन्म लेना जैसी बातें शामिल हैं तो आपको उससे बात करनी चाहिए। इस दौरान आप जानने का प्रयास करें कि क्या किसी बात से अंदर ही अंदर वह बहुत अधिक परेशान है।
-जितने भी आत्महत्या के केस होते हैं, उनमें से 80 प्रतिशत केस में अवसाद यानी डिप्रेशन एक बड़ा कारण होता है। ऐसे में जरूर हो जाता है कि हम सभी को डिप्रेशन के बारे में भी जानकारी हो। हम सभी को मानसिक बीमारियों को लेकर अपनी नॉलेज को बढ़ाना होगा। ताकि जरूरत पड़ने पर अपनी और अपने प्रियजनों की सहायता कर सकें और उन्हें आत्महत्या जैसे कदम से बचा सकें।
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