कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और पुड्डुचेरी में सत्ता और संगठन के बीच समन्वय के लिए कोआर्डिनेशन कमेटियों का गठन किया है।
मध्यप्रदेश में बनाई गई 7 सदस्यीय कमेटी की कमान प्रदेश प्रभारी महासचिव दीपक बावरिया को सौंपी गई है।
प्रदेशाध्यक्ष और मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव के साथ युवा कल्याण, उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी और पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन इसके सदस्य बनाए गए हैं।
कमेटी में शामिल नेताओं में से दिग्विजय सिंह प्रदेश के वो नेता हैं, जिनका ऐसी किसी समिति में होना लाजमी है। प्रदेश और कांग्रेस में खुद के लिए नई महत्वपूर्ण जगह तलाश रहे वरिष्ठ नेता सिंधिया का आना भी नहीं चौंकाता। चौंकाने वाला नाम है जीतू पटवारी का जो इन सबसे और नटराजन से भी जूनियर हैं। नटराजन तो राहुल गांधी की गुडबुक वाली नेता हैं, जीतू भी इसी वृक्ष को थाम कर चलते हैं। लेकिन उनके सिर पर दिग्विजय सिंह की भी छाया बनी रहती है। वो दिग्विजय जो कांग्रेस की दिल्ली की राजनीति में अप्रासंगिक होते जा रहे हैं, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद मध्यप्रदेश में उनकी प्रासंगिकता बढ़ गई है।
जीतू पटवारी से सीनियर कई मंत्री प्रदेश में हैं। पीसीसी में भी उनके कद से बड़े कई नेता हैं। उन्हें विधानसभा चुनाव से पहले कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बनाना क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन की कवायद मानी गई थी। अब उनका कोआर्डिनेशन कमेटी में आना कांग्रेस में बदलते परिदृश्य का परिचायक है।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, सांसद विवेक तन्खा और डॉ गोविंद सिंह, सज्जन सिंह वर्मा, तुलसी सिलावट, बृजेन्द्र सिंह राठौर, पी सी शर्मा जैसे कई दिग्गज मंत्रियों के बीच जीतू का चयन इशारा कर रहा है कि सोनिया गांधी भी मध्यप्रदेश में तीसरी पीढ़ी के नेतृत्व को उभार रही हैं।
प्रदेशाध्यक्ष की रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जीतू का नाम भी चल रहा है। स्वाभाविक है कि कांग्रेस हाईकमान भविष्य के लिए प्रदेश में ऐसा नेतृत्व आगे बढ़ा रहा है, जो ऊर्जावान है। जिस पर किसी परिवार की छाप नहीं और खुद के दम पर जिसने अपना मुकाम बनाया है।