Monday, December 23, 2024
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स्कूलों में पढ़ाया जाएगा रानी अवंतिबाई, राजा शंकर शाह-रघुनाथ शाह का पाठ : शिवराज सिंह चौहान


जबलपुर, ब्यूरो। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार को जबलपुर के पास बरगी में रानी अवंतीबाई बलिदान दिवस समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जिन्होंने देश की आजादी के लिए, अपने अस्तित्व की सम्पूर्ण क्षमता झोंककर अंग्रेजों से युद्ध किया और बलिदान दिया, ऐसी रानी अवंतीबाई को हम सभी प्रणाम करते हैं। 1857 के स्वातंत्र्य समर में रानी अवंतिबाई केआह्वान पर इस क्षेत्र के राजा-जागीरदारों के रूप मे अनेकों क्रांतिकारी इकट्ठे हुए थे। ये वही दौर है जब राजा रघुनाथ शाह जी, शंकर शाह जी जैसे क्रांतिवीरों ने अंग्रेजों को खदेड़ने का प्रयास किया था। इनके अलावा हीरापुर के मेहरबान सिंह जी, विजयराघौगढ़ के सरजू प्रसाद जी, सोहगपुर के गरुड़ सिंह जी जैसे क्रांतिवीर अंग्रेजों से युद्ध में शामिल हुए थे। 18 सितम्बर 1857 को राजा शंकर शाह-रघुनाथ शाह को तोप के मुंह से बाँध कर उड़ा दिया गया था, इसके बाद इस पूरे क्षेत्र में क्रांति की बागडोर रानी अवंतिबाई ने संभाली थी। उनके आदेश पर रामगढ़ के सेनापति ने भुआ-बिछिया थाने पर हमला किया था, जिसके बाद क्रांतिकारियों ने थाने पर कब्जा कर लिया था। घुंघरु पर चढ़ाई के बाद 4000 सैनिकों के साथ खेड़ी के युद्ध में रणचंडी बन कर अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये थे। रानी की बहादुरी से अंग्रेजों को मंडला से भागने पर मजबूर होना पड़ा था। मंडला के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर बालिंगटन ने रानी के अद्भुत शौर्य और नेतृत्व क्षमता के बारे में अपनी चिट्ठियों में उल्लेख किया था। 1858 में अंग्रेजों ने फिर से एक बड़ी सेना के साथ रानी अवंतिबाई पर हमला किया। रानी के वीर क्रांतिकारी सैनिक लड़ते रहे, शहीद होते रहे और जब रानी ने यह देखा कि शायद हम जीत नहीं पाएंगे तो उन्होंने कहा कि मेरे शरीर को अंग्रेजी हाथ न लग पाएं, इसलिये खुद कटार घोंपकर अपना आत्मबलिदान किया था।

सीएम शिवराज ने गाना गाकर भी सुनाया

धन्य भूम भई मनकेड़ी की जितै अवतरी रानी
जुगन जुगन नो जाहर हो गई उनकी अमर कहानी
बड़ी प्रेम सैं चबा चुकी ती देसप्रेम को बीड़ा
जिअत जिअत नौनी धरनी की दूर करत रई पीड़ा
ऐसी वीरांगना रानी अवंतिबाई के चरणों में बारम्बार प्रणाम करता हूं।

उनके कारण ही आजाद हुआ देश

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आजादी के लिए हजारों क्रांतिकारी हंसते हंसते शहीद हो गए थे। उनके गरम, गाढ़े और लाल रक्त से भारतभूमि रंग गई थी, उनके त्याग, तपस्या और बलिदान के कारण ही देश आजाद हुआ था। लेकिन आजादी के नायकों को भुला दिया। जो पार्टी पहले 50 साल तक राज करती रही, उन्होंने केवल एक ही खानदान को आजादी का नायक बताया। गाँधी जी के योगदान को हम प्रणाम करते हैं, लेकिन हम राजा शंकर शाह-रघुनाथ शाह, वीरांगना रानी अवंतिबाई, बादल भोई, टंट्या मामा, भीमा नायक, महारानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहब पेशवा, वासुदेव बलवंत फड़के, लाला हरदयाल, ऊधम सिंह, खुदीराम बोस, राजगुरु, सुखदेव, भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, स्वातंत्रय वीर सावरकर जैसे नायकों को भूल गए।

उनकी समाधि पर एक दिया भी नहीं, जिनके लहू से मिली थी आजादी-वतन,
जगमगा रहे थे मकबरे उनके, जो बेचा करते थे शहीदों के कफन।

मेरे मन में संतोष है कि सर्वोच्च बलिदान देने वाले क्रांतिकारियों की पूजा करने का सौभाग्य हमें मिला है। मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को भी धन्यवाद दूंगा कि ऐसे सभी शहीदों के स्मारक बनाए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में भी हम ऐसे सभी वीर शहीदों के स्मारक बना रहे हैं। मुझे प्रसन्नता है कि आपने महाविद्यालय का नाम राजा शंकर शाह-रघुनाथ शाह के नाम पर रखने की बात कही। हमने छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी का नाम राजा शंकर शाह-रघुनाथ शाह के नाम पर रखने का काम किया है।

स्मारक बनाएगी एमपी सरकार

मैं अमर शहीदों का चारण, उनके जस गाया करता हूं। जो कर्ज राष्ट्र ने खाया है, उसे चुकाया करता हूं। इस स्थान पर वीरांगना रानी अवंतिबाई की प्रतिमा लगाने का सौभाग्य पुरानी सरकारों को नहीं मिला। प्रतिमा से सटी हुई भूमि पर रानी की वीरगाथाएं उकेरते हुए स्मारक बनाने का काम करेंगे। एनवीडीए से उपयुक्त जमीन लेकर इस स्थान पर स्मारक का निर्माण किया जाएगा। हमने तय किया है कि स्कूलों के पाठ्यक्रम में वीरांगना रानी अवंतिबाई, राजा शंकर शाह-रघुनाथ शाह का पाठ भी पढ़ाया जाए। समाज के साथ मिलकर, जहाँ भी आवश्यक होगा, उनकी स्मृति को चिरस्थायी रखने के लिए प्रयास करते रहेंगे। जिन गाँवों तक पानी नहीं पहुंचा है वहाँ पर पानी पहुंचाने के लिए तत्काल सर्वे के आदेश दूंगा। अगर नहरों के जरिये पानी नहीं पहुंचेगा तो पाइप लाइन के सहारे पानी पहुंचा कर धरती को सींचने का काम करेंगे। हमने सिंचित भूमि का रकबा साढ़े सात लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 45 लाख हेक्टेयर तक किया है। एक बार पुनः मैं रानी अवंतिबाई के चरणों में प्रणाम करता हूं।
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा।

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