- को-ब्रैंडिंग के तहत मेट्रो स्टेशनों को मिलता है कंपनियों का नाम
- मुंबई मेट्रो के फेज 3 के 18 स्टेशनों के लिए आए 87 प्रस्ताव
- ये प्रस्ताव कुल 28 सरकारी-निजी कंपनियों की तरफ से आए हैं
मुंबई मेट्रो के कोलाबा-बांद्रा-SEEPZ मेट्रो-3 कॉरिडोर के 18 स्टेशनों को नाम देने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC), भारतीय स्टेट बैंक (SBI), इंडियन ऑयल सहित 28 सरकारी और निजी कंपनियां होड़ में हैं. यह कॉरिडोर करीब 33 किमी लंबा है और इस पर 18 स्टेशन होंगे. इसके तहत स्टेशनों की को-ब्रैंडिंग की जाती है.
इस प्रोजेक्ट को मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (MMRC) के द्वारा लागू किया जा रहा है. इसके लिए कुल 87 प्रस्ताव (एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट) हासिल किए गए हैं. MMRC ने एक बयान में बताया कि नाम के अधिकार हासिल करने के लिए कुल 28 कंपनियों-संगठनों ने रुचि दिखाई है. कई कंपनियों ने एक से ज्यादा स्टेशनों के नाम का अधिकार हासिल करने के लिए आवेदन किया है.
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ये कंपनियां हैं होड़ में
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, नाम के लिए होड़ में शामिल कंपनियों में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC), भारतीय स्टेट बैंक (SBI), इंडियन ऑयल, जेएसडब्लू, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन, पीरामल, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूटीआई, कोटक,आईडीएफसी फर्स्ट, एचएसबीसी, इंडिगो,स्पाइसजेट, टाइम्सग्रुप, ब्लैकस्टोन, फीनिक्स मिल्स, ओबेरॉय, डीबी रियल्टी शामिल है.
एमएमआरसी ने कहा, ‘बीकेसी स्टेशन शहर को सबसे महत्वपूर्ण कारोबारी इलाका है और इसके लिए सबसे ज्यादा मांग है. इसके नाम का अधिकार हासिल करने के लिए कुल 12 प्रस्ताव आए हैं. इसी तरह दादर, एयरपोर्ट टर्मिनल 2 स्टेशन के लिए नौ-नौ प्रस्ताव मिले हैं. एयरपोर्ट टर्मिनल वन और सीएसएमटी के लिए सात-सात प्रस्ताव मिले हैं.
कितना आता है खर्च
स्टेशनों के नाम के साथ अपना नाम लिखवाने के लिए संस्थानों को 1 से10 करोड़ रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं. जानकारों के अनुसार, प्रीमियम स्टेशनों पर एक साल के लिए अपना नाम लिखवाने के लिए संस्थानों को 1 से 5 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं, जबकि सीएसएमटी, बीकेसी और एयरपोर्ट स्टेशनों के साथ अपना नाम जोड़ने के लिए 5 से 10 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं.
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MMRC के मैनेजिंग डायरेक्टर रंजीत देओल ने बताया, ‘इस तरह की प्रतिक्रिया से हमारे इस नजरिए की पुष्टि होती है कि मुंबई के कारोबार और संगठनों को मेट्रो नेटवर्क से लंबे समय तक जुड़ने का फायदा होता है.’ उन्होंने कहा कि किसी भी ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के लिए इस तरह के अतिरिक्त रेवेन्यू हासिल करना महत्वपूर्ण होता है और इससे यात्री किराये पर अंकुश रखने में मदद मिलती है.
उन्होंने कहा, ‘समूचे गैर किराया राजस्व में स्टेशनों के नाम अधिकार देना एक महत्वपूर्ण स्रोत होता है. इसके अलावा स्टेशनों को नाम देने से कंपनियों को भी फायदा होता है. इस तरह से कंपनियां एक महत्वपूर्ण मेट्रो कॉरिडोर से जुड़ती हैं.