इंदौर। गुजरात की सीमा से लगे शराब तस्करी के लिए संवेदनशील अलीराजपुर जिले में शराब माफिया शराब दुकानों के ठेके उठवाने में आड़े आ रहा है। उल्लेखनीय है कि पड़ोसी राज्य गुजरात में शराबबंदी लागू है और गुजरात की सीमा से लगे धार, झाबुआ और अलीराजपुर से गुजरात में माफिया बड़े पैमाने पर शराब तस्करी करता है।
जाहिर है शराब तस्करी में इंदौर के बड़े शराब तस्कर और ठेकेदार जिन्हें यहां सिंडिकेट के नाम से जाना जाता है, शामिल हैं। तस्करी के कारोबार में जुटी सिंडिकेट को इंदौर में पदस्थ कुछ बड़े अफसरों का संरक्षण हासिल है। इसके अलावा राजनीतिक दलों का संरक्षण भी यहां शराब माफिया को हासिल है।
अन्य बड़ी खबरें :- https://www.no2politics.com/demand-for-imposition-of-presidents-rule-in-madhya-pradesh/
इस समय मध्यप्रदेश में शराब दुकानों के ठेके देने का काम चल रहा है। हालांकि लाकडाउन के कारण शराब की दुकानें और कारोबार इस समय मध्यप्रदेश में बंद है। इसके तीस अप्रैल तक जारी रहने की संभावना है। इसलिए भी इस समय शराब तस्करों की पौ बारह है। सूत्रों का कहना है कि इंदौर संभाग में धार, बड़वानी और झाबुआ के ठेके तो काफी मशक्कत के बाद उठ गए हैं लेकिन अलीराजपुर का ठेका रोकने में शराब माफिया और सिंडिकेट ने पूरी ताकत झोंक रखी है। इस सिंडिकेट में ग्वालियर और उत्त्तरप्रदेश के बड़े शराब कारोबारी शामिल हैं। इस खेल में गुजरात के बड़े शराब तस्कर सहित अबकारी विभाग के इंदौर और ग्वालियर में पदस्थ कुछ बड़े अफसर भी शामिल हैं। एक तरह से यह सिंडिकेट अंतर्राज्यीय शराब ठेकेदारों का समूह है, जिसका प्रभावशाली अफसरों और राजनीतिज्ञों से गठजोड़ है। मंत्रालय में बैठे अफसरों को भी इस खेल की भनक है कि अलीराजपुर के ठेकों के नहीं उठने के पीछे पर्दे के पीछे किसका खेल है। धार और झाबुआ में भी आबकारी विभाग के अफसरों को पूरा जोर देकर ठेके उठवाने पड़े।
अलीराजपुर और धार के माध्यम से शराब तस्करी कर शक्तिशाली हुआ यह सिंडिकेट इंदौर और भोपाल जैसे बड़े महानगरों में भी कब्जा जमाने की फिराक में है। आला अफसरों को इनके मददगारों के बारे में सब पता है लेकिन प्रदेश में जारी राजनीतिक उठापठक और अस्थिरता के कारण कठोर फैसले लेने में देर हो रही है। कमलनाथ सरकार ने अपनी आबकारी नीति में पूरे राज्य में शराब के ठेकों को पिछली बार की तुलना में पच्चीस फीसदी बढ़ा कर देने का फैसला किया था। लेकिन धार, झाबुआ, बड़वानी में सरकार की नीति के अनुसार ठेके नहीं उठ पाए हैं और सरकार को तय कीमत से माईनस में ठेके उठवाने पड़े हैं। यहीं खेल अब अलीराजपुर में होने वाला है। वहां 15 अप्रैल को ठेके की प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है। लेकिन यहां भी ठेकों में सरकार को चूना लगना तय माना जा रहा है।