दुर्ग पहुंचने के बाद प्रशासन ने मां उसकी मृत बेटी को नवागढ़ भेज दिया है. (फाइल फोटो)
श्रमिक एक्सप्रेस (Shramik Express) में सफर कर रही सीमा (Seema) अपनी मृत बच्ची के चेहरे को थोड़ी देर के लिए निहारती और फिर उसे अपने सीने से चिपका लेती थी.
सीमा ने बेहद खूबसूरत एक बच्ची को जन्म दिया. एक घंटे तक सबकुछ ठीक रहा, लेकिन उसके बाद अचानक बच्ची की सांस उखड़ी और वह हमेशा के लिए दुनिया से रुखसत हो गई. सीमा के लिए उसकी बेटी का जाना किसी वज्रपात की तरह था. बेटी की मौत से लगभग टूट चुकी सीमा की हालत कुछ ऐसी हो चुकी थी कि वह खुद से बेटी के शव को अलग करने को राजी नहीं थी. लोगों ने लाख समझाने के बाद भी वह अपनी बच्ची को खुद से अलग नहीं कर रही थी. सीमा किसी भी सूरत में यह मानने के लिए तैयार नहीं थी कि उसकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं है.
14 घंटे तक सीने से चिपकाए रही बेटी का शव
ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों की मानें तो सीमा लगातार 14 घंटे तक अपनी बेटी को सीने से चिपकाए रही. बीच-बीच में वह बच्ची के चेहरे को थोड़ी देर के लिए निहारती और फिर बच्ची को अपने सीने से चिपका लेती. यह सिलसिला तब तक जारी रहा, जब तक ट्रेन दुर्ग नहीं पहुंच गई. दुर्ग पहुंचने के बाद, जब इस घटना की जानकारी रेल औश्र स्थानीय प्रशासन को लगी तो उन्होंने तत्काल इस परिवार के लिए एक वाहन की व्यवस्था की और उन्हें दुर्ग से नवागढ़ के लिए रवाना कर दिया गया.बिलासपुर में भी ट्रेन में हुई डिलीवरी, स्वस्थ्य हैं मां–बेटी
ट्रेन में डिलीवरी की एक अन्य घटना छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से भी सामने आई है. दरअसल, श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सफर कर रहे राजेंद्र यादव की गर्भवती पत्नी को अचानक लेबर पेन शुरू हो गया. ट्रेन में मौजूद महिलाओं की मदद से ईश्वरी की डिलीवरी कराई गई. ईश्वरी ने रात करीब दो बजे एक बच्ची को जन्म दिया. बिलासपुर पहुंचने के बाद मां और बच्ची को स्थानीय प्रशासन ने सिम्स में भर्ती कराया है, जहां दोनों स्थिति सामान्य बताई गई है.
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First published: May 18, 2020, 11:31 AM IST