देश की राजनीति में गांधी परिवार पर अक्सर परिवारवाद के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक राजनीतिक घरानों पर नजर डालें, तो परिवारवाद की कमी नहीं है. देश में गांधी परिवार को छोड़कर 11 ऐसे राजनीतिक घराने हैं, जिनकी तीसरी पीढ़ी या तो राजनीति में उतर चुकी है या उतरने की तैयारी में है.
महाराष्ट्र की राजनीति में 2 परिवारों की तीसरी पीढ़ी
सबसे पहले बात महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे ताकतवर समझे जाने वाले ठाकरे परिवार की. ठाकरे परिवार की तीसरी पीढ़ी राजनीति में प्रवेश कर चुकी है. भले ही शिवसेना की कमान बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे के हाथों में हो, लेकिन उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे राजनीति में एंट्री ले चुके हैं. आदित्य अक्सर पार्टी मंच पर देखे जाते हैं.
दक्षिण की राजनीति में भी तीसरी पीढ़ी मैदान में
दक्षिण की राजनीति में भी तीसरी पीढ़ी मैदान में उतरने की तैयारी में है. जबसे डीएमके की बागडोर करुणानिधि के बेटे स्टालिन के हाथों में आई है, तब से स्टालिन के बेटे उदयनिधि को अक्सर राजनीतिक मंचों पर देखा जाता है. उदयनिधि ने पिछले साल तमिलनाडु में कई राजनीतिक सभाएं की थी. माना जा रहा है कि इस चुनाव में उदयनिधि का राजनीति में औपचारिक प्रवेश हो जाएगा.
आंध्र प्रदेश की राजनीति में भी तीसरी पीढ़ी एंट्री मार चुकी है. एनटीआर की तीसरी पीढ़ी के नेता नारा लोकेश 2017 में ही आंध्र प्रदेश की राजनीति में एंट्री कर चुके हैं. नारा लोकेश एनटीआर के दामाद चंद्रबाबू नायडू का बेटे हैं. 2017 में वे अपने पिता की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे.
उत्तर प्रदेश में 4 परिवारों की तीसरी पीढ़ी मैदान में
हिंदी भाषी राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश की सियासत में चार राजनीतिक घरानों की तीसरी पीढ़ी मैदान में है. सबसे पहले बात उत्तर प्रदेश सरकार में शामिल मंत्रियों की. योगी सरकार में शामिल दो मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और संदीप राजनीति की तीसरी पीढ़ी के नेता हैं. उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की तीसरी पीढ़ी के नेता हैं.
सिद्धार्थनाथ सिंह लाल बहादुर शास्त्री की बेटी सुमन शास्त्री के बेटे हैं. दूसरी ओर बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं. संदीप के पिता राजवीर भी उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में वो एटा से बीजेपी के सांसद हैं.
इससे पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति में सबसे ताकतवर यादव फैमिली की तीसरी पीढ़ी की एंट्री हो चुकी है. मैनपुरी से सांसद तेज प्रताप यादव मुलायम सिंह यादव की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं. तेज प्रताप मुलायम सिंह यादव के सबसे बड़े भाई रतन सिंह के पोते हैं. मुलायम सिंह यादव हर साल तेज प्रताप के पिता रणवीर सिंह की याद में ही सैफई महोत्सव कराते हैं.
तीसरी पीढ़ी के नेताओं में अगला नाम जयंत चौधरी का है. एसपी-बीएसपी गठबंधन में आरएलडी को शामिल कराने का श्रेय जयंत चौधरी को दिया जा रहा है. चौधरी चरण सिंह की तीसरी पीढ़ी के इस नेता की इन चुनावों में अग्निपरीक्षा है, क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में जयंत और उनके पिता अजीत सिंह दोनों चुनाव हार गए थे .
उत्तराखंड भले नया लेकिन यहां भी तीसरी पीढ़ी मुकाबले में
उत्तराखंड की राजनीति में भी तीसरी पीढ़ी एंट्री ले चुकी है. पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा का भी राजनीतिक पदार्पण हो चुका है. साकेत उत्तराखंड की पिछली विधानसभा में कांग्रेस के टिकट पर विधायक रहे, हालांकि बाद में कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया. हेमवती नंदन बहुगुणा की तीसरी पीढ़ी उत्तराखंड में सक्रिय है, तो उनकी बेटी उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं.
जम्मू-कश्मीर में एंट्री के लिए तैयार है तीसरी पीढ़ी
जम्मु-कश्मीर की राजनीति भी परिवारवाद से आगे नहीं बढ़ पा रही. शेख अब्दुल्ला की तीसरी पीढ़ी के नेता उमर अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर की राजनीति में सक्रिय हैं, तो पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला दिल्ली की सियासी गलियारे में अक्सर चर्चा में बने रहते हैं. राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भले ही मुफ्ती मोहम्मद सईद की दूसरी पीढ़ी हो, लेकिन यहां भी राजनीति की तीसरी पीढ़ी दस्तक दे रही है. महबूबा की बेटी इल्तिजा मुफ्ती अक्सर मीडिया मे चर्चा का विषय रहती हैं और कई बार उन्हें गंभीर विषयों पर मां का पक्ष रखते भी देखा गया है.
(न्यूज18 हिंदी के लिए अनिल राय की रिपोर्ट)