दिग्विजय सिंह ने उठाए सवाल, बिना केंद्रीय एजेंसी की अनुमति लिए कलेक्टर ने कैसे दे दी अनुमति
भोपाल। मध्यप्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी इंदौर में कोरोना मरीजों पर बाबा रामदेव की पतंजलि की आयुर्वेदिक दवाओं के ट्रायल की कलेक्टर द्वारा अनुमति देने का मामला विवाद में आ गया है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इस पर ऐतराज जताया है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार के ड्रग कंट्रोलर की अनुमति के बिना इंदौर जिला प्रशासन ने कैसे पतंजलि की दवाइयों को कोरोना मरीजों को देने की परमीशन दे दी है, इसे लेकर वे आश्चर्यचकित हैं।
बता दें कि कोविड-19 के मरीजों के मामले मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा इंदौर में ही सामने आए हैं। इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने शुक्रवार को बाबा रामदेव की पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्र्स्ट की आयुर्वेदिक दवाओं के कोविड मरीजों पर ट्रायल की अनुमति दी है। कलेक्टर के अनुसार इस संबंध में उनके पास पतंजलि से एक प्रस्ताव आया था। जिसके आधार पर एक एमबीबीएस डॉक्टर और जिला आयुर्वेद अधिकारी को पतंजलि की दवा और काढ़ा कोरोना मरीजों को देने और उसके नतीजे देखने के लिए अधिकृत किया गया है।
बताया जाता है कि बाबा रामदेव की पतंजलि ने इम्युनिटी और रजिस्टेंस पॉवर बढ़ाने वाली उपचार पद्धति बनाई है। पतंजलि ने दावा किया है कि उसकी आयुर्वेदिक दवा कोविड-19 के मरीजों के लिए काफी उपयोगी साबित हो रही है। सूत्रों के अनुसार कंपनी ने दावा किया है कि राजस्थान के जयपुर में इसका प्रयोग सफल रहा है और कई मरीजों को लाभ पहुंचा है। इसी आधार पर इंदौर के कोविड केयर सेंटर में भी मरीजों को आयुर्वेदिक दवा और काढ़ा देना शुरु किया जा रहा है। बता दें कि आयुष विभाग ने भी ऐसा काढ़ा सुझाया है, जिसे मरीजों और क्वारेंटीन सेंटर में रखे गए लोगों को दिया जा रहा है।
इंदौर में कोरोना के 2933 मरीज, 111 की हो चुकी है मौत
इंदौर जिले में कोरोना के 2933 मरीज हैं। अभी तक 111 लोगों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है और 1381 मरीज ठीक हो चुके हैं। जबकि मध्यप्रदेश में कोरोना मरीजों की कुल संख्या 6371 है। प्रदेश में अब तक 281 लोग कोविड-19 के कारण जान गंवा चुके हैं।
ड्रग ट्रायल को लेकर पहले भी बदनाम रहा है इंदौर
इंदौर शहर ड्रग ट्रायल को लेकर पहले भी काफी बदनामी झेल चुका है। कुछ साल पहले डॉ आनंद राय और कुछ अन्य एक्टिविस्ट ने यह मामला उजागर किया था। इंदौर में चिकित्सक बहुराष्ट्रीय कंपनियों की दवाओं का मरीजों को जानकारी दिए बिना ट्रायल करते थे। मामला उजागर होने के बाद काफी हंगामा भी मचा था।