Edited By Sakshi Pandya | नवभारत टाइम्स | Updated:
पीरियड शब्द दिमाग में आते ही या सुनते ही सबसे पहले एक्ने, माइग्रेन, डिप्रेशन, हैवी ब्लीडिंग, दर्द आदि जैसी समस्याएं दिमाग में आने लग जाती हैं। अधिकतर महिलाओं को पीरियड्स के दौरान इन सभी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। फोर्टिस हॉस्पिटल में महिला और प्रसूति विभाग की डायरेक्टर डॉक्टर सुनीता वर्मा हमें Menstrual Hygiene Day 2020 पर बता रही हैं कि हेल्दी पीरियड क्या होता है, इससे जुडी परेशानियों को कम कैसे करें और किन लक्षणों से पता करें कि यह परेशानी के संकेत हैं।
कैसे होते हैं नॉर्मल पीरियड?
एक नॉर्मल पीरियड 4 से 5 दिन तक रहता है। आमतौर पर पीरियड की साइकल 24 से 38 दिनों की होती है। पहले 1 से 2 दिन में क्रैम्प्स आना आम है और इसके लिए आप हल्की दर्द निवारक गोली ले सकती हैं। प्यूबर्टी या यौवन के यानी कि जब आपकी मेंस्ट्रुअल साइकल की शुरुआत हो, उसके शुरू के 2 सालों में हैवी और अनियमित ब्लीडिंग हो सकती है। यह समय के साथ धीरे-धीरे अपने आप ठीक हो जाती है। कुछ मामलों में, ब्लीडिंग वंशानुगत रक्तस्राव विकार के कारण भी हो सकती है। ऐसे मामलों में, चिकित्सीय जांच करवा लेनी चाहिए।
हर महिला का मेंस्ट्रुअल साइकल का फ्लो अलग-अलग होता है। आमतौर पर माना जाता है कि पूरे पीरियड यानी की 4-5 दिनों के दौरान 80ml ब्लीडिंग होना नॉर्मल है। लेकिन असल जीवन में इसका ध्यान रखना थोड़ा मुश्किल है। इसलिए अगर आपको जल्दी-जल्दी पैड बदलने पड़ते होंं, खासकर रात में, तो इसका मतलब है कि आपको हैवी ब्लीडिंग हो रही है। इसका अन्य संकेत है कि बड़े आकार के खून के थक्के निकलना, यह भी इस बात का प्रमाण है कि आपको नॉर्मल से ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है।
अधिक ब्लीडिंग होने के कारण
अधिक ब्लीडिंग होर्मोनेस के कारण हो सकती है, लेकिन इसके अन्य कारणों में गर्भाशय फाइब्रॉएड, और पेल्विक में सूजन आदि। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण हो तो आपको प्रसूति विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। इनमें से अधिकतर समस्याओं को हार्मोनल ट्रीटमेंट के साथ ठीक किया जा सकता है। इसी के साथ यह ध्यान रखें कि आपकी डाइट में आयरन और प्रोटीन की मात्रा अधिक हो।
मेनोपॉज पास होने पर हैवी ब्लीडिंग
अगर आपको हैवी ब्लीडिंग हो रही है और आप मेनोपॉज के पास हैं तो किसी भी तरह की कैंसर से पहले की स्थिति का पता लगाने के लिए आपकी यूट्रीन लाइनिंग की बायोप्सी की जाती है। पहले, इसके निवारण में यूट्रस को हटा दिया जाता था, लेकिन अब इसके लिए कई मेडिकल ट्रीटमेंट आ गए हैं।
क्या है PCOS?
प्रेग्नेंसी के अलावा, पीरियड्स मिस होने का सबसे आम कारण PCOS यानी कि पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम होता है। PCOS के लक्षणों में वजन का बढ़ना, असामान्य रूप से एक्ने या चेहरे पर बाल आना आदि शामिल है। अगर आप एक साथ 3 बार पीरियड्स मिस करती हैं तो डॉक्टर को दिखाएं। PCOS को लाइफस्टाइल में बदलाव कर के कंट्रोल किया जा सकता है। रोजाना एक्सरसाइज करके, वजन घटाकर और हेल्दी डाइट अपनाकर इसे ठीक किया जा सकता है। ज्यादा परेशानी वाले मामलों में हार्मोनल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ सकती है।
PMS (प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम)
महिलाओं के बदलते मूड पर ना जाने कितने मजाक बने हैं, लेकिन PMS एक ऐसी स्थिति है जिससे व्यक्तिगत तौर से लेकर रिश्तों पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है और इसे मजाक में नहीं लिया जाना चाहिए। बिना बात के गुस्सा आना, रोने का मन करना आदि काफी परेशानी देने वाला हो सकता है। PMS को रोजाना एक्सरसाइज करके बेहतर किया जा सकता है। कहते हैं कि एक्सरसाइज करने से हैप्पी हॉर्मोन्स रिलीज होते हैं। ऐसा खाना खाएं जिसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड हो, फल, सब्जियां और पानी भी इसमें मदद करता है। जरूरत से ज्यादा नमक न खाएं, मक्खन और क्रीम, कैफीन से परहेज करें। हो सकता है आपका डॉक्टर आपको vitamin B1 और B6, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि लेने की सलाह दे। इसी के साथ अपने पीरियड्स को ट्रैक करना और मेंस्ट्रुअल कैलेंडर मेन्टेन रखना अच्छा है।
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