भोपाल, ब्यूरो। मध्य प्रदेश में पशुओं के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। मुख्यमंत्री गोसेवा योजना में अब तक पंजीकृत 1170 गोशालाओं में एक लाख 3 हजार गोवंश का पालन किया जा रहा है। योजना में निर्मित सभी गोशालाएं सर्वसुविधायुक्त हैं। इनमें गायों के शेड के साथ बछड़ों के लिए अलग-अलग शेड की व्यवस्था की गई है। बीमार गोवंश को सुविधायुक्त वातावरण में रखा जाता है। गोशालाओं में चारा काटने की मशीन, ओवरहेड टैंक, सबमर्सिबल पंप और बोर के लिए एक लाख 60 हजार रुपये प्रति गोशाला के मान से सभी गोशालाओं को अनुदान भी दिया गया है। वर्ष 2022-23 में प्रदेश की 1797 शासकीय और अशासकीय गोशालाओं के गोवंश के लिए 202 करोड़ 33 लाख की राशि जिला गोपालन एवं पशुधन संवर्धन समितियों के माध्यम से प्रदाय की गई। सभी निर्मित गोशालाओं में संबंधित विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा 30 करोड़ 23 लाख 38 हजार की लागत से विद्युतीकरण का कार्य पूरा कराया जा चुका है। गोवंश के चारे-भूसे की व्यवस्था के लिए प्रत्येक गोशाला के साथ 5 एकड़ का चारागाह भी निर्मित कराया गया है। चारागाह मनरेगा के माध्यम से संचालित है। प्रदेश की लगभग 3 लाख निराश्रित गोवंश को आश्रय देने के लिए आरंभ मुख्यमंत्री गोसेवा योजना में गोशालाओं का निर्माण सतत जारी है। अन्य 363 पंचायतों में गोशालाओं के अधो-संरचना का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है। पंचायतों द्वारा विद्युतीकरण कार्य पूर्ण करने के बाद इन गोशालाओं का संचालन प्रारंभ हो जाएगा। शासकीय गोशालाओं के अलावा स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा 627 गोशालाओं में एक लाख 87 हजार गोवंश की देखभाल की जा रही है। इस प्रकार प्रदेश की कुल 1797 गोशालाओं में 2 लाख 90 हजार गोवंश का पालन किया जा रहा है। मध्य प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा वर्ष 2023-24 में गोशालाओं के चारे-भूसे के लिए अनुदान राशि 20 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा राज्य शासन द्वारा भी बजट में गोशालाओं के लिए 90 करोड़ का प्रावधान किया गया है। रीवा, सतना, ग्वालियर, दमोह, देवास और आगर आदि गोशालाओं में बायोगैस संयंत्र भी स्थापित किये जा रहे है। इनसे गैस, बिजली उत्पादन के साथ उन्नत गुणवत्ता की जैविक खाद भी प्राप्त होगी। राज्य शासन द्वारा नरवाई से भूसा बनाने के लिए 49 गोशालाओं को स्ट्रा रीपर स्वीकृत किये गये हैं इनमें से 34 गौशालाओं को स्ट्रा रीपर प्रदाय किये जा चुके हैं। गो-संरक्षण और संवर्धन शासन की प्राथमिकताओं में शामिल है।