Edited By Somendra Singh | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:
कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में अभी भी बड़ी तेजी से फैल रहा है और उसे रोकने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। इन सबके बीच चीन से पनपने वाले कोरोना वायरस के बारे में अब एक नई बात सामने आ रही है कि वहां पर एक बार फिर से कोरोना वायरस के संक्रमण में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। इतना ही नहीं, वहां नए मरीजों में कोरोना वायरस के लक्षण ज्यादा गंभीर हैं। इन मरीजों का इलाज विशेष निगरानी में किया जा रहा है और उन्हें सभी लोगों से अलग भी रखा गया है। नीचे इसके बारे में विस्तारपूर्वक जानते हैं….
कहां पर दिख रहे हैं ऐसे लक्षण?
मिली जानकारी के मुताबिक, बताया जा रहा है कि चीन के जिलिन और हेईलांगजिआंग में मरीजों के अंदर वायरस के नए लक्षण देखे गए हैं। यह पहले दिखने वाले लक्षणों से काफी अलग हैं और इन्हें समझने में भी काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टरों ने बताया है कि यह वायरस मरीज के शरीर में ज्यादा लंबे समय तक मौजूद रहने के कारण मरीज को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
चीन के नॉर्थ ईस्ट में भी कुछ ऐसे ही लक्षण देखने को मिले जहां पर मरीजों के अंदर इंफेक्शन होने के बाद लक्षण दिखने में 14 दिन से भी अधिक का समय लग गया। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे में वायरस का संक्रमण रोकने के लिए जब तक इसके लक्षण के बारे में पता चलेगा तब तक कोई भी संक्रमित मरीज, इससे बहुत लोगों को संक्रमित कर सकता है। पिछले दो हफ्तों में कोरोना वायरस के संक्रमण के 46 केस, शुलन, जिलिंग और शेग्यांग में सामने आए हैं।
लॉस एलमोस नेशनल लेब्रोटरी ने भी इस बारे में बयान जारी किया है। उन्होंने कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के अंदर दिखने वाले नए लक्षणों के बारे कहा है कि जिस हिसाब से यह लक्षण मरीजों में ज्यादा लंबे समय तक टिक रहे हैं, इसके परिणाम काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। नेशनल हेल्थ कमीशन ग्रुप के सदस्य क्यू हेइबो ने इस बारे में जानकारी दी है कि कोरोना वायरस के बदल रहे नए लक्षणों में मरीज के फेफड़ों को बहुत बुरी तरह से नुकसान पहुंच रहा है। फिलहाल डॉक्टरों की एक टीम इन मरीजों पर लगातार विशेष निगरानी रख रही है ताकि वायरस की बदल रही प्रकृति को समझने में मदद मिले।
हालांकि, इस बात की जानकारी मिलने पर पूरी दुनिया के डॉक्टर लगातार ऐसे इलाज के तरीकों पर काम करना शुरू कर चुके हैं जिसमें कोरोना वायरस के बदल रहे नए लक्षणों को समझकर उन्हें रोकने के लिए उचित इलाज की व्यवस्था की जा सके।
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