देशभर में शनिवार को रंग पंचमी पर्व मनाया जा रहा है। खास बात तो यह है कि धर्म नगरी उज्जैन सहित मालवा क्षेत्र में रंग पंचमी का पर्व होली उत्सव से ज्यादा मनाया जाता है। इस दिन शहर भर में रंगों के कई भव्य आयोजन होते हैं। इन आयोजनों की शुरुआत बाबा महाकाल के मंदिर से होती है। आज सुबह भस्म आरती में बाबा महाकाल को प्रतीकात्मक तौर पर रंग लगाया गया। दरअसल इसके पहले पूर्व के वर्षों में महाकाल मंदिर समिति द्वारा करीब दो क्विंटल से अधिक टेशु के फूलों का रंग बनाया जाता था। इसी रंग को पण्डे पुजारी और श्रद्धालु मंदिर परिसर में एक दूसरे को लगाते थे। परंतु पांच दिन पहले होली पर्व पर महाकाल मंदिर के गर्भगृह में हुए आगजनी के हादसे के बाद सख्त पाबंदी कर दी गई है। किसी भी श्रद्धालु को महाकाल मंदिर में किसी भी प्रकार का रंग लाना प्रतिबंधित किया गया है। इसके साथ ही मंदिर समिति द्वारा भी कोई रंग उपलब्ध नहीं करवाया गया। आज रंग पंचमी का पर्व है । सुबह भस्म आरती में प्रतीकात्मक तौर पर केसर का रंग बाबा महाकाल को अर्पित कर रंगों का यह त्यौहार मनाया गया। मंदिर के पुजारी आशीष गुरु ने बाबा महाकाल को रंग लगाया। होली पर्व पर हुई आगजनी की घटना के बाद तीन सदस्य मजीस्ट्रीयल जांच में आगामी पर्व को लेकर कुछ सुझाव दिए थे। जिन पर साफ तौर पर अमल देखा गया। मंदिर के गर्भगृह में तय संख्या में पण्डे पुजारी देखे गए। मंदिर में प्रवेश करने वाले पण्डे पुजारी का आईडी कार्ड जांच गया। भस्मारती में शामिल होने वाले प्रत्येक श्रद्धालु की चेकिंग की गई। तय संख्या में श्रद्धालु भस्म आरती में शामिल हुए । सुरक्षा में जरा भी कोताई नहीं की गई।
बाइट–आशीष गुरु– पुजारी महाकाल मंदिर