Thursday, September 19, 2024
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PM Narendra Modi speech on the occasion of Buddha Purnima – बुद्ध पूर्णिमा पर बोले PM मोदी – समय, स्थिति, व्यवस्थाएं बदलीं, लेकिन भगवान बुद्ध का संदेश जीवन में निरंतर प्रवाहमान रहा

बुद्ध पूर्णिमा पर बोले PM मोदी - समय, स्थिति, व्यवस्थाएं बदलीं, लेकिन भगवान बुद्ध का संदेश जीवन में निरंतर प्रवाहमान रहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली:

बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर एक कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल तरीके से देश को संबोधित किया. उन्होंने कहा, ”आप सभी को और विश्वभर में फैले भगवान बुद्ध के अनुयायियों को बुद्ध पूर्णिमा की, वेसाक उत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएं.” पीएम मोदी ने कहा, ”भगवान बुद्ध का वचन है- मनो पुब्बं-गमा धम्मा, मनोसेट्ठा मनोमया, यानि, धम्म मन से ही होता है, मन ही प्रधान है, सारी प्रवृत्तियों का अगुवा है. आपके बीच आना बहुत खुशी की बात होती, लेकिन अभी हालात ऐसे नहीं हैं. इसलिए, दूर से ही, टेक्नोलॉजी के माध्यम से आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर दिया, इसका मुझे संतोष है.”

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ”लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर के अलावा श्रीलंका के श्री अनुराधापुर स्तूप और वास्कडुवा मंदिर में हो रहे समारोहों का इस तरह एकीकरण, बहुत ही सुंदर है. हर जगह हो रहे पूजा कार्यक्रमों का ऑनलाइन प्रसारण होना अपने आप में अद्भुत अनुभव है. आपने इस समारोह को कोरोना वैश्विक महामारी से मुकाबला कर रहे पूरी दुनिया के हेल्थ वर्कर्स और दूसरे सेवा-कर्मियों के लिए प्रार्थना सप्ताह

के रुप में मनाने का संकल्प लिया है. करुणा से भरी आपकी इस पहल के लिए मैं आपकी सराहना करता हूं”

उन्होंने कहा, ”प्रत्येक जीवन की मुश्किल को दूर करने के संदेश और संकल्प ने भारत की सभ्यता को, संस्कृति को हमेशा दिशा दिखाई है. भगवान बुद्ध ने भारत की इस संस्कृति को और समृद्ध किया है. वो अपना दीपक स्वयं बनें और अपनी जीवन यात्रा से, दूसरों के जीवन को भी प्रकाशित कर दिया.”

पीएम ने कहा, ”बुद्ध किसी एक परिस्थिति तक सीमित नहीं हैं, किसी एक प्रसंग तक सीमित नहीं हैं. सिद्धार्थ के जन्म, सिद्धार्थ के गौतम होने से पहले और उसके बाद, इतनी शताब्दियों में समय का चक्र अनेक स्थितियों, परिस्थितियों को समेटते हुए निरंतर चल रहा है.”

इस मौके पर पीएम मोदी ने यह भी कहा, ”समय बदला, स्थिति बदली, समाज की व्यवस्थाएं बदलीं, लेकिन भगवान बुद्ध का संदेश हमारे जीवन में निरंतर प्रवाहमान रहा है. ये सिर्फ इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि, बुद्ध सिर्फ एक नाम नहीं है बल्कि एक पवित्र विचार भी है. बुद्ध, त्याग और तपस्या की सीमा है. बुद्ध, सेवा और समर्पण का पर्याय है. बुद्ध, मज़बूत इच्छाशक्ति से सामाजिक परिवर्तन की पराकाष्ठा है.”


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