Friday, November 22, 2024
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PM मोदी को 208 शिक्षाविदों ने लिखा पत्र, कहा- लेफ्ट विंग बिगाड़ रहा माहौल – Academicians blame left wing coterie deteriorating academic environment country pm modi jnu amu jadavpur

  • 208 शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र
  • लेफ्ट विंग पर शिक्षण माहौल खराब करने का आरोप

कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों समेत 208 शिक्षाविदों ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देश में बिगड़ते अकादमिक माहौल के लिए ‘वामपंथी कार्यकर्ताओं के एक छोटे समूह’ को जिम्मेदार ठहराया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है, हमारा मानना है कि छात्र राजनीति के नाम पर एक विध्वंसकारी धुर वाम एजेंडा को आगे बढ़ाया जा रहा है. जेएनयू से लेकर जामिया तक, एएमयू से लेकर जादवपुर (विश्वविद्यालय) तक परिसरों में हुई हालिया घटनाएं हमें वामपथी कार्यकर्ताओं के एक छोटे से समूह की शरारत के चलते बदतर होते अकादमिक माहौल के प्रति चौकन्ना करती हैं.

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आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी के कुलपति आरपी तिवारी, दक्षिण बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी एचसीएस राठौर और सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के वीसी शिरीष कुलकर्णी सहित अन्य शामिल हैं. इसे ‘शैक्षणिक संस्थानों में वामपंथी अराजकता के खिलाफ बयान’ शीर्षक दिया गया है. 208 शिक्षाविदों के इस बयान को अकादमिक जगत में समर्थन जुटाने का शासन का प्रयास माना जा रहा है.

दरअसल, संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) परिसर में हुए हालिया हमले सहित कई मुद्दों को लेकर कुछ विश्वविद्यालयों में हुए प्रदर्शनों को लेकर विद्वानों के एक हिस्से द्वारा सरकार आलोचना का सामना कर रही है. वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाले समूहों को आड़े हाथ लेते हुए बयान में कहा गया है कि लेफ्ट राजनीति द्वारा थोपे गए सेंसरशिप के चलते जन संवाद आयोजित करना या स्वतंत्र रूप से बोलना मुश्किल हो गया है.

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पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा गया है कि वाम के गढ़ों में हड़ताल, धरना और बंद आम बात हो गई है. वाम विचारधारा के अनुरूप नहीं होने पर लोगों को व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाना, सार्वजनिक छींटाकशी और प्रताड़ना बढ़ रही है. बयान में कहा गया है कि इस तरह की राजनीति से सबसे बुरी तरह से गरीब छात्र और हाशिये पर मौजूद समुदायों के छात्र प्रभावित हो रहे हैं.

इसमें कहा गया है, ये छात्र सीखने और अपने लिए बेहतर भविष्य बनाने का अवसर खो देंगे. वे अपने विचारों को प्रकट करने और वैकल्पिक राजनीति की स्वतंत्रता खो देंगे. वे खुद को बहुसंख्यक वाम राजनीति के अनुरूप करने के प्रति सीमित पायेंगे. हम सभी लोकतांत्रिक ताकतों से एकजुट होने और अकादमिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा विचारों की बहुलता के लिए खड़े होने की अपील करते हैं.

(PTI के इनपुट के साथ)

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