भोपाल। भोपाल जिला मध्य प्रदेश की सबसे घनी आबादी वाला जिला है। यहां की आबोहवा तेजी से प्रदूषित हो रही है। ठंड का मौसम आते ही प्रदूषण ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। इसके चलते शहरवासियों में अस्थमा सहित सांस की बीमारी के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। ऐसे मरीजों के लिए जेपी अस्पताल में नई मशीन लगाई गई है। इससे मरीजों को पहले की अपेक्षा ज्यादा राहत मिल रही है। डॉक्टर्स के मुताबिक अस्पताल में पीएफटी जांच (पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट) की सुविधा शुरू हो गई है। आपको बता दें कि पिछले दिनों ही जेपी अस्पताल में चेस्ट फिजिशिन डॉ. अंकित तोमर ने ज्वाइन किया है। अब वे पीएफटी जांच (पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट) से मरीजों की जांच आसानी से कर पा रहे हैं। आपको बता दें कि पीएफटी मशीन से फेफड़ों द्वारा हवा को अंदर लेने और छोड़ने की जानकारी पता चलती है। इसके साथ ही इस मशीन से यह भी पता चलता है कि हमारे फेफड़े कितनी ऑक्सीजन को सोख सकते हैं। सांस नली की सिकुड़न और फेफड़ों की क्षमता भी इससे पता चलती है। मशीन के इंस्टाल होने से पहले डॉक्टर बिना मशीन के ही जांच करते थे, जिससे परिणाम सही नहीं आ पाते थे, लेकिन मशीन के इंस्टाल होने के बाद रोगियों ने राहत की सांस ली है। मशीन द्वारा शुरू की गई जांच में दो मरीजों में अस्थमा तो एक मरीज सीओपीडी नामक बीमारी से ग्रसित पाया गया। डॉक्टर्स का कहना है कि प्रदूषण के कारण युवा भी दूषित हवा ग्रहण कर रहे हैं और वे बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। जेपी प्रबंधन का कहना है कि इस मौसम में सांस से जुड़ी बीमारियों से संबंधित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कुछ दिन पहले ते रोज 10-20 मरीज पहुंचते थे। लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 30 से 35 पर पहुंच गई है।अब रोज दो से ज्यादा मरीज भर्ती हो रहे हैं।