प्रयागराज। भारत के मुख्य न्यायाधीश धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़ (डीवाई चंद्रचूण) ने प्रयागराज हाई कोर्ट के एक जज की ‘हेकड़ी’ निकाल दी। सीजेआई ने कहा है कि सुविधाएं आपका विशेषाधिकार नहीं है। दरअसल, सीजेआई चंद्रचूण ने सभी हाई कोर्ट के जजेस को पत्र लिखा है। यह पत्र, एक जज के परिप्रेक्ष्य में लिखा गया है। आपको बता दें कि यात्रा के दौरान ट्रेन के लेट होने पर प्रयागराज हाई कोर्ट के एक जज को नाश्ता नहीं मिला। जब वे बापस अपने कोर्ट पहुंचे तो तो हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार प्रोटोकॉल द्वारा रेलवे प्रबंधक को नोटिस भेजकर जवाब मांग लिया। कहीं से यह पत्र चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ तक पहुंच गया। इस पर उन्होंने आपत्ति जताते हुए एक पत्र जारी कर दिया। चंद्रचूण ने लिखा है कि हाई कोर्ट के सभी मुख्य जज को 2 पन्ने का लेटर लिखा है। सख्त लफ्जों में उन्होंने लिखा है कि प्रोटोकॉल, जजों का विशेषाधिकार नहीं है। जजों को दी गईं प्रोटोकॉल सुविधाओं का उपयोग उन्हें अपने विशेषाधिकार के लिए नहीं किया जाना चाहिए। प्रोटोकॉल ऐसा होना चाहिए जिससे आम आदमी को परेशानी न हो। CJI ने लिखा है कि हाई कोर्ट जज के कहने पर रेलवे महाप्रबंधक को प्रोटोकॉल अनुभाग के प्रभारी रजिस्ट्रार द्वारा पत्र भेजा गया है। वे जज, अपनी पत्नी के साथ ट्रेन में यात्रा कर रहे थे। सीजेआई ने लिखा है कि हाईकोर्ट के जज के पास रेलवे कर्मियों पर अनुशासनात्मक क्षेत्राधिकार नहीं है। इसलिए हाईकोर्ट का कोई अधिकारी रेलवे कर्मियों से स्पष्टीकरण नहीं मांग सकता।
बताया जा रहा है कि इलाहाबाद HC के जस्टिस गौतम चौधरी (Justice Gautam Choudhary Prayagraj High Court) पत्नी के साथ ट्रेन में सफर कर रहे थे। ट्रेन 3 घंटे लेट थी। उन्हें नाश्ता नहीं मिला। उनके बुलाने पर पेंट्री कार और जीआरपी से कोई नहीं आया था। इसी बात से उनका गुस्सा जाग गया और कोर्ट जाते ही नोटिस जारी करवा दिया।