छतरपुर। पूर्वांचल के प्रसिद्ध छठ पर्व महोत्सव को जिला मुख्यालय में भी इस बार भव्यता के साथ मनाया गया। यहां रहने वाले लोगों ने पिछले तीन दिनों से पर्व की शुरूआत करते हुए भक्तिभाव के साथ पूजा अर्चना की। तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। शुक्रवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही यह पर्व आज पूरा हो रहा है। पानी में रहकर भगवान भास्कर से सुख समृद्धि की कामना की जाती है। स्थानीय लोगों ने भी बड़ी संख्या में प्रताप सागर तालाब पहुंचकर पूजा कर रहे लोगों को शुभकामनाएं दीं।पर्व के संबंध में मनोज कुमार सिंह ने बताया कि छठ महोत्सव चार दिनों का होता है। नहाय खाय के साथ यह पर्व शुरू किया गया। दूसरे दिन खरना का आयोजन होता है जिसमें पर्व से जुड़े व्यंजन बनाए जाते हैं। इसके बाद तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। उन्होंने बताया कि शाम 4 बजे से स्थानीय चौपाटी स्थित प्रताप सागर तालाब में भगवान भास्कर को अस्त होने के दौरान अर्घ्य दिया गया। तालाब में पानी में खड़े होकर यह पूजा की जाती है।
बांस के सूप में पूजन सामग्री रखकर अर्घ्य दिया जाता है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार सुबह पांच बजे से फिर यह पूजा शुरू होगी और सुबह साढ़े 6 बजे तक पर्व पूर्ण होगा। उन्होंने बताया कि इस पर्व का पौराणिक काल से महत्व है। द्रौपदी ने भी यह पर्व मनाया था। खास बात यह रही कि इस बार पूर्वांचल के परंपरागत तरीके से पर्व को मनाने वालों के साथ ही स्थानीय स्तर पर भी लोग शामिल हुए। कुछ लोगों ने पर्व को मनाया और कुछ इस पूरी संस्कृति को समझते रहे। यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि छठ महोत्सव में प्रारंभ से लेकर समापन तक किसी पुरोहित की आवश्यकता नहीं होती। सभी लोग मिलकर यह पर्व मनाते हैं। इस अवसर पर एसडीएम बलवीर रमन, उदयप्रताप सिंह रांची, अमित सिंह पटना, मनोज चौहान छतरपुर, रविशंकर सिंह छतरपुर, संजीव झा, संजीव सिंह सीतामणि, अवधेश सिंह सीतामणि, संदीप श्रीवास्तव सिवनी, विनोद चौबे जबलपुर के अलावा बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।