नई दिल्ली, ब्यूरो। इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश में एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर भी भरोसा जताते हुए चुनाव मैदान में उतरेगी। वहीं छत्तीसगढ़ में भाजपा के पास चेहरे का संकट है। राजस्थान में भी नेता विपक्ष चुनने में हो रही देरी के चलते विचार विमर्श चल रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को आगे प्रोजेक्ट किया जाए या फिर नया चेहरा लाया जाए।
शिवराज पर भरोसा
उच्च पदस्थ विश्वस्त सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ चर्चा में बीजेपी के नीति निर्धारकों के बीच इस बात पर सहमति है कि मध्यप्रदेश का विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम और काम के आधार पर ही लड़ा जाएगा। यानी इस बार भी मध्यप्रदेश में नमो शिवाय कांबिनेशन के साथ भाजपा चुनाव में उतरेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के साथ ही उनका विकल्प बनने का सपना देख रहे नेताओं को भी इसके संकेत दे दिए गए हैं। यही वजह है कि मध्यप्रदेश भाजपा अब पूरी तरह शिवराज के साथ खड़ी दिखाई दे रही है। चुनाव जीतने तक कौन बनेना मुख्यमंत्री गेम मध्यप्रदेश में अब नहीं चलेगा। चुनाव जीतने के बाद ही पार्टी तत्कालीन परिस्थितियों में प्रदेश के नेतृत्व का फैसला करेगी।
रमन और साव फीके
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की काट का चेहरा भाजपा को ढ़ूंढ़े नहीं मिल रहा है। 15 साल त मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह के पास वो लटके–झटके नहीं हैं जो भूपेश बघेल के पास हैं। प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव पहली बार के सांसद होने के साथ वो कद और ग्लैमर नहीं पा सके जो उन्हें बघेल की कका वाली इमेज के सामने खड़ा कर सके। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल भी भले ही साव की भांति ओबीसी वर्ग के हैं, लेकिन वो प्रभाव नहीं बना सके कि उनके चेहरे के दम पर चुनावी मंझधार में पार्टी को उतारा जा सके। पूर्व मंत्री ब्रजमोहन अग्रवाल में जरूर फायर दिखता है, लेकिन उनकी आंच पर पानी डालने का काम पार्टी के भीतर से ही होने का खतरा है। ऐसे में भाजपा छत्तीसगढ़ में बघेल के सामने कोई चेहरा नहीं उतारेगी। कलेक्टिव लीडरशिप के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी और साल 2003 में जिस तरह मध्यप्रदेश में तत्तकालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का मुकाबला किया गया था, वैसी ही रणनीति अपनाएगी। छग में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के काम और बघेल के साथ उनके कद्दावर मंत्री टी एस सिंहदेव की खटपट को भुनाने की जुगत भाजपा कर रही है।
वीडी शर्मा पर भी मेहरबानी
मध्यप्रदेश के मनोनीत भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा को चुनावी साल में एक्सटेंशन मिल रहा है। इसी माह अपना कार्यकाल पूरा कर चुके शर्मा को हटा कर नया अध्यक्ष बनाने योजना को भाजपा ने आलमारी में बंद करने का निर्णय लिया है। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी सहमति बताई जा रही है। माना गया है कि चुनाव के मौके पर नए अध्यक्ष के आने से सरकार और संगठन के बीच तालमेल बिगड़ सकता है, इसलिए शिव- विष्णु की जोड़ी ही फिलहाल बनी रहेगी।
सिंधिया की ज्योति दिखेगी
संसद के सत्र के बाद केंद्रीय मंत्री विमानन और इस्पात ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश में ज्यादा समय देते दिख सकते हैं। पार्टी ने तय किया है कि सिंधिया के संभाग स्तर पर दौरे कराए जाएं। वे पार्टी जनों से भी मिलेंगे और नए-पुराने कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय बिठाने का काम करेंगे। वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और वीरेंद्र कुमार को भी प्रदेश में सक्रिय किया जाएगा।