Monday, January 6, 2025
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अनूठी सजा: चिटफंड घोटाला करने वाले सांई प्रसाद कंपनी के चेयरमेन को 250 साल की सजा

सीहोर, ब्यूरो। सीहोर जिला अदालत द्वारा दिया गया एक फैसला इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। कोर्ट ने धोखाधड़ी के मामले में न्यायालय ने आरोपियों को अलग-अलग मामलों में अलग-अलग सजा देते हुए 250 साल के कारावास की सजा सुनाई है। जी हां, ढाई सौ साल की सजा। जिला अभियोजन अधिकारी प्रमोद अहिरवार ने बताया कि न्यायालय संजय कुमार शाही, विशेष न्याायालय में निर्णय पारित किया। कोर्ट ने साई प्रसाद कंपनी के चेयरमेन के बाला साहब भापकर के साथ-साथ कंपनी के सीहोर शाखा के कर्मचारी दीपसिंह वर्मा पिता गंगाधर वर्मा नि. ग्राम लसूडिय़ा परिहार, लखनलाल वर्मा पिता देवीलाल वर्मा नि. ग्राम खैरी, जितेन्द्रि कुमार पिता रामचरण वर्मा नि. ग्राम काकडखेड़ा, राजेश पिता भगवत परमार, बाला साहब भापकर पिता केशवराव भापकर निवासी पुणे महाराष्टा को दोषसिद्ध किया गया।

अभियुक्त दीप सिंह वर्मा, राजेश उर्फ चेतनारायण परमार, लखन लाल वर्मा, जितेन्द्र कुमार वर्मा एवं बाला साहब भापकर ने 17 नवम्बर 2009 से लेकर 13 मार्च 2016 की अवधि में आपस में मिलीभगत करके एवं षडयंत्र करके सांई प्रसाद प्रापर्टी क0 लि0 का अपने आपको चेयरमेन/डायरेक्टर/सी.एम.डी./एजेन्ट बताकर सीहोर जिले के आस पास के गांव के निवेशकों को साई प्रसाद कंपनी में पैसा 5 साल में दुगना हो जाने आश्वासन देते हुए एवं भरोसा दिलाते हुए निवेशकों से पैसा जमा कराया गया लेकिन उक्त क पनी द्वारा निवेशकों के द्वारा जमा की गई। निवेशकों को दी गई पॉलिसी परिपक्वता पूर्ण होने पर साई प्रसाद कंपनी के सीहोर स्थित कार्यालय में संपर्क किया गया तब पाया कि कम्पनी के कार्यालय पर ताले लगे थे। निवेशकों द्वारा आरोपी से संपर्क करने उनके द्वारा आश्वासन दिया किया उनका पैसा मिल जाएगा। जब निवेशको को उनका पैसा नहीं प्राप्त हुआ तो थाना कोतवाली में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई जिस पर से आरोपी दीपसिंह, जितेन्द्र कुमार, लखनलाल वर्मा, राजेश उर्फ चेतनारायण परमार के विरूद्ध धारा 420 के अंतर्गत पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान कंपनी के डायरेक्टनर बाला साहब भापकर विवेचना अधिकारी सउनि. सी.एल. रायकवार एवं सउनि महताब वास्केयल के द्वारा प्रकरण का अनुसंधान किया गया एवं सम्पूर्ण अनुसंधान उपरांत समस्त आरोपी के विरूद्ध धारा 420, 409, 120-बी भादिव, धारा 6 म.प्र. निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 के अंतर्गत अभियोग-पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

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