सोमवार से सीमित संख्या में ट्रेन सेवाओं की शुरुआत कर दी गई. कई प्रवासियों ने तो जैसे-तैसे अपने पड़ोसियों और दोस्तों से उधार लेकर टिकट खरीदा और ट्रेन के इंतजार में लंबी कतार में खड़े हो गए. इस सबके बीच प्रवासी कोरोनावायरस से बेखौफ हो चले हैं. कई प्रवासी तो ऐसे थे जिनकी मार्च से रोजी रोटी छिन गई और उनकी जेब में एक रुपया तक नहीं था. प्रवासियों ने बताया कि उन्हें मजबूरन उधार लेकर टिकट खरीदने पड़े. प्रवासी श्रमिकों ने बताया कि उन्हें श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में बैठने के लिए सीट तक नहीं मिल रही है जो कि सरकार पिछले महीने से चला रही है.
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आर्यन कुमार ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, ‘मैं मजदूरी करता था और बिहार वापस लौट रहा हूं. पिछले 3 महीनों से मेरे पास कोई काम नहीं है और ना ही मेरे पास पैसा बचा है. टिकट की कीमत ₹8100 है, यह मैंने अपने पड़ोसी से उधार लिए हैं. मुझे नहीं मालूम लौटा पाऊंगा कि नहीं.’ उनके पिता उमेश महतो ने कहा, ‘ मैं भी मजदूरी करता था. दिल्ली में कोई काम नहीं बचा है. पिछले 3 महीनों से हम यहां बैठे हुए थे. अब हमारे पास कोई पैसा नहीं है.’
इसके अलावा बाकी लोगों ने दिल्ली छोड़ने के लिए कोरोनावायरस की वजह बताई. निजामुद्दीन नूर ने बताया कि वे पटना अपने परिवार को छोड़ने के लिए जा रहे हैं. दिल्ली में बहुत खतरा है. उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस महामारी के चलते ट्रेन की यात्रा भी बदल गई है. उन्होंने बताया कि पहले राजधानी एक्सप्रेस में शीट, कंबल मिलता था. अब यहां यह सब तो दूर खाना और पानी भी नहीं है. स्टेशन पर स्कैनिंग के बिना घुसने नहीं दिया जा रहा है.
बता दें कि कोरोना की रोकथाम के लिए लागू किए लॉकडाउन से लाखों गरीब प्रवासी मजदूर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. लोगों की नौकरियां चली गई हैं, भूख से परेशान हैं और लगातार अपने घरों को लौट रहे हैं. कई प्रवासी पैदल तो कई साइकिल पर तेज धूप में घर के लिए निकल पड़े. कई प्रवासी मजदूरों की तो दुर्घटना में मौत भी हो गई.
बीते महीने प्रवासी मजदूरों के पलायन को देखते हुए केंद्र सरकार पर भी दबाव बन गया और उन्होंने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलानी शुरू की. साथ ही बसें भी चलाई गईं. हालांकि स्पेशल ट्रेन में भी देरी हो रही है और प्रवासी मजदूरों का इंतजार कम नहीं हो रहा है. खाने और पीने के पानी की कमी की शिकायतें भी सुनने को मिल रही हैं.
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