Friday, February 7, 2025
HomePoliticsVaranasi Rally Of Pm Modi After Ambedkar Politics On Saint Ravidas |...

Varanasi Rally Of Pm Modi After Ambedkar Politics On Saint Ravidas | अंबेडकर के बाद संत रविदास को लेकर सियासी रस्‍साकशी



डॉ. भीमराव अंबेडकर को अपनाने और भुनाने की होड़ तो सियासत में आम बात है. चुनावी वक्‍त में संत-महात्‍माओं को लेकर भी राजनीतिक दलों के बीच रस्‍साकशी जारी है. पीएम मोदी इसी महीने के तीसरे हफ्ते में 18वीं बार अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी जाने वाले हैं. इस बार नरेंद्र मोदी मां गंगा के बुलावे पर नहीं बल्कि उस महान संत के जयंती उत्सव में शामिल होने जा रहे हैं जिन्‍होंने मां गंगा को ही कठौती में बुला लिया था.

संत रविदास की 641वीं जयंती उत्सव में पीएम मोदी के शामिल होने का कार्यक्रम हैं. वैसे तो यह एक धार्मिक कार्यक्रम है लेकिन इस कार्यक्रम के जरिए दलितों वोटरों से नज़दीकियां बनाने की कोशिशें जारी हैं. ‘संत की कोई जाति नहीं होती’ कि सुक्ति भले ही जनसामान्‍य के जुबान पर हो. लेकिन सियासी ककहरे में संत-महात्‍मा भी जाति और वर्ग के फॉर्मूले पर हमेशा से फिट किए जाते रहे हैं. संत रविदास को लेकर भी वही कोशिश जारी है. माघ पूर्णिमा के दिन संत रविदास के जन्‍मस्‍थली वाराणसी के सिर गोवर्धनपुर में बड़ा मेला लगता है.

UP CM PC

इस दौरान पंजाब-हरियाणा समेत देश के विभिन्‍न हिस्‍सों से यहां करीब दो लाख से अधिक श्रद्धालु आते हैं. इन श्रद्धालुओं में बड़ी संख्‍या दलितों श्रद्धालुओं की होती है. बीजेपी समेत सभी विपक्षी दल इन रैदासियों पर नजर गड़ाए हुए हैं. पीएम मोदी और सीएम योगी का दौरा भी उसी प्रक्रिया की एक कड़ी है. इसकी अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सीएम योगी खुद जयंती उत्‍सव की तैयारियों का जायजा लेने तीन बार वाराणसी का दौरा चुके हैं. पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भी नरेंद्र मोदी, अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी और मायावती ने बारी-बारी से रविदास मंदिर में जाकर मत्था टेका था और मंदिर में रैदासियों के साथ बैठकर लंगर खाया था.

ये भी पढ़ें: किसानों की कर्ज माफी: कमलनाथ के लिए वित्तीय संकट और घोटाले से निपटने की बड़ी चुनौती

इस चुनाव में भी बीजेपी की पूरी कोशिश है कि रविदास के अनुयायी दलित मतदाताओं को अपने पाले में किया जाए. यूपी और केंद्र सरकार शासन स्‍तर पर भी इसकी पूरी तैयारी की है. सीएम योगी की पहल पर सीर गोवर्धनपुर में अमृतसर के स्‍वर्ण मंदिर जैसा मंदिर बनाने की तैयारी की जा रही है. योगी सरकार ने इसके लिए 195 करोड़ रुपए की योजना प्रस्‍तावित की है. शासन स्‍तर पर इसके लिए डीपीआर को स्‍वीकृति भी मिल गई है. इसके तहत ऑडिटोरियम, सत्संग हॉल, संत-सेवादारों के लिए आवास, लाइब्रेरी, गोशाला का निर्माण होगा.

साथ ही संत रविदास के नाम पर 150 बेड का आधुनिक अस्पताल भी बनेगा. योगी सरकार इसके लिए 100 से ज्‍यादा घरों का अधिग्रहण भी करेगी. पीएम मोदी के इस दौरे में रविदास मंदिर के सुंदरीकरण व विस्तारीकरण का शिलान्यास कराने की योजना है. पूरी योजना में लगभग सौ करोड़ रुपए खर्च होंगे. मंदिर का दो चरणों में विस्तार किया जाएगा. पहले चरण में साढ़े चार एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा. लगभग 50 करोड़ रुपए में प्रवेश द्वार, सत्संग भवन, पाथवे, पार्क का निर्माण होना है.

दूसरे चरण में म्यूजियम, फव्वारा, लाइब्रेरी का निर्माण होगा. पीएम मोदी के इस दौरे को बीजेपी भले ही सियासी दौरा मानने से इनकार करे लेकिन यूपी की सियासी पानी की तासीर ही ऐसी है यहां विकासपरक बातें चाहे जितनी भी हों, पर जीत-हार के खेल की चाबी एक हद तक जाति पर ही निर्भर करती है.

यही वजह है कि सभी राजनीतिक दल अपने वोटरों के जातिगत ब्लूप्रिंट को तैयार करने में लगे रहते हैं. जाति के ब्लूप्रिंट पर नजर डालें तो पूर्वांचल में ही करीब 10 जिले ऐसे हैं, जहां सबसे ज्यादा संख्या दलित मतदाताओं की है. कुछ जिले छोड़ दें तो बाकी जगहों पर भी दलित दूसरा सबसे बड़ा वोट बैंक है.

दलित मतदाताओं में संत रविदास के अनुयायियों की संख्‍या अच्‍छी खासी है. बीजेपी की पूरी कोशिश इन्‍हीं मतदाताओं को लुभाने की है. गौरतलब है कि पूर्वांचल और आसपास की सीटों पर पिछले तीन दशक से जातीय समीकरण चुनावों के नतीजे प्रभावित करते रहे हैं.

जातीयता हावी होने के चलते विकास और बेहतरी के दावे करने वाली पार्टियां भी इस समीकरण को नहीं तोड़ पाती हैं. शुरुआती दौर में दलित वोट पर बीएसपी का एकछत्र राज था. लेकिन पिछले 5 साल में स्थिति बदली है. इसीलिए सभी पार्टियां दलित वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए काफी प्रयास करती नजर आ रही हैं.

narendra modi

बीजेपी ने जो फिल्डिंग सजाई है उससे बीएसपी समेत विपक्षी दलों में चिंता होना लाजमी है. सियासी गलियारों की कानाफूसी को माने तो राहुल गांधी और मायावती की भी रविदास जयंति उत्‍सव में शामिल होने की योजना है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती रैदासियों के सियासी म‍हत्‍व को बखूबी समझती हैं.

ये भी पढ़ें: CBI से ‘घमासान’ के बाद भी PM पद के लिए ममता से प्रबल दावेदार हो सकती हैं मायावती!

इसी को देखते हुए उन्‍होंने अपने मुख्‍यमंत्री रहते हुए यहां भव्‍य रविदास पार्क का निर्माण करवाया था और वाराणसी के बगल के जिले भदोही का नाम बदलकर संत रविदास नगर कर दिया था. अब यूपी में योगी की सरकार है लिहाजा बीजेपी की पूरी कोशिश है कि संत रविदास की कठौती में भीमा-कोरेगांव और सहारनपुर हिंसा से लगे दलित विरोधी तोहमत को धुला जाए और दलित वोटरों को अपने पाले में किया जाए.




Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RECENT COMMENTS

casino online slot depo 10k bonus new member slot bet 100 slot jepang
slot depo 10k