अशोकनगर। मजबूरियां अलग-अलग किस्म की होती हैं, लेकिन यह मजबूरी सबसे अलग है। मुंगावली ब्लॉक के खोपरा गांव में ग्रामीणों को खुले आसमान के नीचे जमीन पर ही दाह संस्कार करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। मुंगावली जनपद पंचायत के अंतर्गत आने बाले ग्राम पंचायत बर्री के ग्राम खोपरा का है,जहां मृत्यु के बाद भी इंसान के शव को छत तक नसीब नहीं हुई क्योंकि यहां शमशान घाट तक मौजूद नहीं है। जहां खुले आसमान के नीचे लोगों को अंतिम संस्कार की सारी क्रियाएं पूरी करना पड़ी। ऐसी ही शर्मशार कर देने बाली तश्वीरें शनिवार को देखने को मिली जहां 50 वर्षीय मिल्कीराम ओझा की बीमारी के चलते मृत्यु हो जाने के बाद जहाँ उसके अंतिम संस्कार के लिए आधा किलोमीटर दूर अस्थाई मुक्तिधाम ले जाया गया। जहां व्यवस्था के नाम पर खुला मैदान था। इस दौरान तेज बारिश के चलते लोग छाता लगकर बारिश रुकने का इंतज़ार करते रहे। लेकिन जब बारिश नही रुकी तो एक तिरपाल लगाकर खुले आसमान के नीचे ही दाह संस्कार करने को मजबूर होना पड़ा। यहां के रहवासी कई बार शासन प्रशासन से मुक्ति धाम बनाने के लिए गुहार लगा चुके हैं। लेकिन अभी तक किसी की भी मानवीय संवेदनायें नहीं जागी हैं।