Sunday, December 22, 2024
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विकास दुबे एनकाउंटर: झोल ही झोल.. राज खत्म, राजदार खत्म

100 की स्पीड में गाड़ी ओर टूटता है केवल एक शीशा

कार डिवाइडर से टकराई.. वाह रे मजबूती कुछ नहीं बिगड़ा

धीरज चतुर्वेदी
एक था राजा एक थी रानी दोनों मर गये खत्म कहानी, विकास दुबे कि मुठभेड़ में हुई मौत कि कहानी कुछ भेद, कुछ गुप्त बातो को भी खत्म कर पहेली बन गई।

सौ किमी स्पीड से दौड़ता वाहन एक डिवाइडर से टकराता है ओर वाहन के दरवाजे का एक शीशा टूटता है। जिस डिवाइडर से वाहन टकराता है वह भी फौलाद से निर्मित था.। जिससे टकराते ही वाहन तो पलट जाता है पर डिवाइडर को नुकसान नहीं पहुँचता। अब वाहन कि फौलाद समझें कि स्पीड में टकराने के बाद भी वाहन के ना तो परखच्चे उड़ते है ओर ना ही वाहन में सवार गंभीर चोटिल होते है।

शायद यह पहला वाहन होगा जो पुलिस के पास सुरक्षित कवच था। इतना मजबूत वाहन आमतौर पर नहीं देखा जाता। विकास दुबे कितना दमदार था कि वाहन के क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद भी वह उत्तरप्रदेश के विशेष पुलिस दस्ते पर भारी पड़ते हुए पिस्टल छीन लेता है ओर वाहन के दरवाजे कि खिड़की के टूटे शीशे से बाहर निकल भाग निकलता है। वह भी जब विकास दुबे के एक पैर में राड डली हो ओर वह लंगड़ा कर चलता हो। वह दौड़ लगा देता है फिर पुलिस एनकाउंटर में मारा जाता है। सवाल तो उठेगा ही कि जब विकास दुबे को पुलिस हिरासत से भगाना ही था तो वह महाकाल मंदिर के चौबारे में खड़ा होकर पुलिस गिरफ्त में क्यो आता।

रोचक पहलू भी है कि जिस स्थान पर विकास दुबे का एनकाउंटर हुआ। वहां पहले पुलिस का वाहन पलट जाता है। इसी इलाके में एक दिन पहले पुलिस का वाहन पंचर हो गया था तब पुलिस ने विकास दुबे कि मुठभेड़ कि तरह ही उसके एक साथी को मार गिराया था। क्या जब पुलिस के वाहन में कोई अपराधी बैठा होता है तभी यह क्षेत्र अपशुगनी होकर पुलिस के लिये शगुनी हो जाता है या आमतौर भी पुलिस वाहन के लिये यह क्षेत्र डेंजर झोन है।


जो भी हो जो सवालिया तो है। फरीदाबाद से आठ सौ किमी दूर उज्जैन के महाकाल मंदिर किस वाहन से, किस माध्यम से, किसके प्रश्रय में वह पंहुचा। जिस तरह विकास दुबे उज्जैन में पुलिस पकड़ में आया,। वह पूरा एपिसोड आत्मसमर्पण कि ओर अधिक संकेत देता है, जिसके आरोप भी लग रहे है। अब विकास दुबे के उज्जैन से कानपुर तक के अधूरे सफर पर बारीकी से विश्लेषण किया जाये तो विकास दुबे मारा गया ओर उसकी लाश के साथ कई राज भी दफ़न हो गये।

राजदारो ने चेन कि सांस ली होंगी। क्या यह कहे कि विकास दुबे कि रहस्यमयी मौत ओर उसके रहस्यमयी साथियो के राज ख़त्म। एक फिल्म कि तरह विकास दुबे का अपराध कि दुनिया में प्रवेश ओर उसका अंत उसी कहानी कि तरह है कि एक था राजा एक थी रानी दोनों मर गये खत्म कहानी।

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