Afghanistan-China relations: आतंकी गुट यानी तालिबान के साथ सबसे पहला संवाद चीन ने ही स्थापित किया था और इस संवाद को अब चीन नई साजिश में बदल रहा है. इस साजिश को अंजाम दे रहे हैं चीन के उद्योगपति और जासूस. अफगानिस्तान में दखल बढ़ाने के लिए चीन ने चतुर्भुज प्लान लॉन्च किया है. इस प्लान के चार हिस्से हैं. इस बडी़ साजिश का पहला हिस्सा है चीन के इंजीनियर. जो BRI की आड़ में अफगानिस्तान जा रहे हैं और इस्लाम कबूल रहे हैं. दूसरी तरफ हैं चीन की इंटेलिजेंस एजेंसीज की महिला जासूस जो पर्यटकों के भेष में अफगानिस्तान पहुंच रही हैं. स्थानीय अफगानों से निकाह कर रही हैं और इस्लाम कबूल कर रही हैं. साजिश का तीसरा हिस्सा है चीन के उद्योगपति. जो व्यापार के बहाने अफगानिस्तान जा रहे हैं और वहां सालों तक रुकने का वीजा ले रहे हैं. इस साजिश का चौथा हिस्सा है चीन का विदेश मंत्रालय. जो तालिबानी हुकूमत के साथ संवाद बढ़ा रहा है. इसे आप इस पूरे प्लान का सेंटर प्वाइंट भी कह सकते हैं.
आतंकी गुट यानी तालिबान के साथ सबसे पहला संवाद चीन ने ही स्थापित किया था और इस संवाद को अब चीन नई साजिश में बदल रहा है. इस साजिश को अंजाम दे रहे हैं चीन के उद्योगपति और जासूस. अफगानिस्तान में दखल बढ़ाने के लिए चीन ने चतुर्भुज प्लान लॉन्च किया है. इस प्लान के चार हिस्से हैं. इस बडी़ साजिश का पहला हिस्सा है चीन के इंजीनियर. जो BRI की आड़ में अफगानिस्तान जा रहे हैं और इस्लाम कबूल रहे हैं. दूसरी तरफ हैं चीन की इंटेलिजेंस एजेंसीज की महिला जासूस जो पर्यटकों के भेष में अफगानिस्तान पहुंच रही हैं. स्थानीय अफगानों से निकाह कर रही हैं और इस्लाम कबूल कर रही हैं. साजिश का तीसरा हिस्सा है चीन के उद्योगपति. जो व्यापार के बहाने अफगानिस्तान जा रहे हैं और वहां सालों तक रुकने का वीजा ले रहे हैं. इस साजिश का चौथा हिस्सा है चीन का विदेश मंत्रालय. जो तालिबानी हुकूमत के साथ संवाद बढ़ा रहा है. इसे आप इस पूरे प्लान का सेंटर प्वाइंट भी कह सकते हैं.
साल 2022 में जब चीन ने पहली बार अधिकारिक तौर पर तालिबान से बातचीत की थी…तो ये मुलाकात इस्लामाबाद में हुई थी…यानी चीन ने पाकिस्तान का सहारा लिया था…लेकिन अब चीन…तालिबान के शीर्ष नेतृत्व तक सीमित नहीं है..बल्कि उसके निशाने पर अफगान समाज में घुसपैठ है…जिसकी वजह है…अफगानिस्तान में मौजूदगी बढ़ाकर…मध्य एशिया में अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाना
पूर्व इंटेलिजेंस अधिकारी आर के यादव का कहना है कि जिस तरह जिनपिंग अपने प्लान को आगे बढ़ा रहे हैं. उसे देखकर लगता है कि तालिबान को चीन दोधारी तलवार बनाना चाहता है. यानी तालिबान के जरिए वो मध्य एशिया तक पहुंचे तो दूसरी तरफ तालिबान को ऐसा प्रेशर प्वाइंट बनाए, जिससे पाकिस्तान को भी कंट्रोल किया जा सके. पिछले 6 महीनों के अंदर इस्लामाबाद और काबुल के बीच तनाव बढ़ा है. इस तनाव की वजह है तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान. जिसपर पाकिस्तानी फौज सख्त कार्रवाई करना चाहती है. लेकिन पश्तून होने की वजह से TTP को तालिबान का समर्थन मिल रहा है. अफगानिस्तान में चीन का हित पूरी दुनिया को पता था लेकिन इस्लाम के जरिए जिनपिंग, अफगानिस्तान में अपनी जड़ें मजबूत करेंगे. इस खुलासे ने सबको चौंका दिया है.
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