27 साल पुराना हत्याकांड फिर आया चर्चा में
धीरज चतुर्वेदी , छतरपुर।
सनसनीखेज राजेंद्र सिंह कि हत्या कि वज़ह कहीं 27 साल पहले विनय सिंह कि हत्या का प्रतिशोध तो नहीं, यह बड़ा सवाल आज उपज रहा हैं। कारण हैं कि राजेंद्र सिंह कि हत्या में जिन आरोपियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट कि गई हैं वह विनय सिंह के पारिवारिक हैं। यानि खून का बदला खून लेकर चुकाने को लेकर ही घात किया गया हैं, इस तथ्य को इंकार नहीं किया जा सकता।
सोमवार कि शाम लगभग छह बजे छतरपुर जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर नेशनल हाईवे पर स्थित पर्यटक ग्राम बसारी में सांदनी निवासी 45 वर्षीय राजेंद्र सिंह को गोलियों से भून दिया गया। मृतक के भाई रामपाल के अनुसार हमलावर मोटरसाइकिल से आये थे। जिन्होंने उस पर ओर भाई राजेंद्र सिंह पर देशी तमंचे से गोलियां बरसानी शुरू कर दी। रामपाल तो बच निकला पर राजेंद्र सिंह कि वहीँ मौत हो गई। जिस स्थान पर हत्या कि गई हैं वह भीड़ भाड़ वाला बसारी बस स्टैंड कहलाता हैं। यह आसपास के कई गाँवो का मुख्य सेंटर हैं। आखिर राजेंद्र सिंह कि हत्या कि मुख्य वज़ह क्या हैं, इसे पुलिस कि तफ्तीश भी तपास कर रही हैं। चर्चाओं का बाजार भी गर्म हैं और वज़ह की तलाश में कयास भी लगाये जा रहे हैं।
कुछ लोग इस हत्याकांड को 27 साल पहले एक दबंग विनय सिंह कि हत्या से जोड़ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक अप्रेल 1993 को सांदनी निवासी विनय सिंह कि हत्या कर दी गई थी। सटई थाना पुलिस ने विनय हत्याकांड में अपराध क्रमांक 34/1993 में सांदनी निवासी कल्लू सिंह, रघुराज सिंह ओर जगराज ठाकुर के खिलफ अपराध पंजीबद्व किया था। विनय सिंह वर्ष 1981 से 1993 तक जघन्य वारदातों से आतंक का नाम रहे हैं। विनय सिंह पर सटई थाने में लूट के 2, हत्या के 2, चोरी के 2, मारपीट के 2 ओर हत्या के प्रयास के दो प्रकरण पंजीबद्व हुए थे। विनय सिंह के आतंक को देख पुलिस ने उनके खिलाफ प्रतिबंधात्मक धाराओं के तहत दस इस्तगासा भी समय समय पर पेश किये।
आतंक का पर्याय माने जाने वाले विनय सिंह को अपराध विरासत में मिला था। उनके पिता चतुर सिंह का भी एक समय खौफ हुआ करता था। चतुर सिंह पर सटई थाने में 25/27 आर्म्स एक्ट के तहत अपराध दर्ज हुए। साथ ही 107/116 जाफौ कि कार्यवाही भी उन पर हुई। चतुर सिंह कि भी हत्या हुई थी। इस ठाकुर परिवार में आज भी अपराध कि विरासत को आने वाली पीढ़ी सम्हाले हुए हैं। साथ ही दुश्मनों से यानि पिता कि हत्या के आरोपियों से बदला लेने का प्रतिशोध ठंडा नहीं हुआ हैं।
याद करें छतरपुर शहर में 12 मार्च 2010 को नगर सेठ परिवार के सर्राफा व्यवसायी प्रमोद अग्रवाल कि ग़ल्ला मंडी स्थित उनके निवास के पास ही लूट के इरादे से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी । इस सनसनीखेज हत्याकांड को अंजाम देने वाला विनय सिंह का दूसरे नंबर का पुत्र घन्नू राजा था। धन्नू राजा ने इधर सर्राफा व्यवसायी कि हत्या कि तो दूसरी ओर उसने अपने दुश्मनों को फ़साने कि रचना रची। हत्या करते समय देसी तमंचे कि नाल फटने से धन्नू राजा का हाथ जख़्मी हो गया था। धन्नू ने सटई थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई कि वह अपने गांव से खेत जा रहा था तभी बाबूराजा व अन्य ने उस पर हमला कर दिया। सटई थाना पुलिस ने हत्या के प्रयास का अपराध भी दर्ज कर लिया ओर धन्नू राजा जिला अस्पताल में भर्ती हो गया।
नगर सेठ प्रमोद कि हत्या में पुलिस को सुराग था कि हमलावर खुद घायल हुआ हैं ओर जैसे ही अस्पताल में एक गोली से घायल युवक के भर्ती होने कि सूचना मिली तो पुलिस ने धन्नू राजा से जब कढ़ी पूछताछ कि तो प्रमोद हत्याकांड से पर्दा उठ गया। इस हत्या के बाद से धन्नू राजा दहशत का दूसरा नाम कहलाता हैं। ग्राम जखरोन में सगे फूफा एचएस बुंदेला कि हत्या का आरोप भी पुलिस रोजनामचे में धन्नू राजा के नाम लेख हैं। कई लूट ओर कटनी जिले में भी धन्नू राजा पर अपराध दर्ज हैं।
राजेंद्र सिंह हत्यकांड में जिनके खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई गई हैं उसमे विनय सिंह के पुत्र अरविन्द सिंह ओर सगे भाई किशोर सिंह का नाम हैं। शेष आरोपी भी विनय सिंह के पारिवारिक हैं। इसलिये इन सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि राजेंद्र सिंह कि हत्या कि मुख्य वज़ह पुश्तैनी दुश्मनी हैं जिसकी आग ने एक बार मौत सस्ती कर दी हैं। चार दशक पहले जो राजनैतिक ओर इलाके में प्रभाव ज़माने के लिये दो ठाकुर पक्षो में दुश्मनी का बीज बोया था, अब प्रतिशोध में इंसानी हत्या कर फसल काटी जा रही हैं। जिसके परिणाम आने वाले दिनों में ओर खतरनाक होंगे।