भोपाल। मध्यप्रदेश और सम्भवतः देश में बीजेपी के चैतन्य काश्यप अकेले ऐसे विधायक हैं, जो वेतन और सुविधाओं के नाम पर सरकार से एक पैसा भी नहीं लेते। काश्यप मध्यप्रदेश के रतलाम से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। वे पिछले कार्यकाल की तरह इस बार भी चुनाव जीतने के बाद विधानसभा सचिवालय को लिख कर दे चुके हैं कि उन्हें मिलने वाला 70 हजार रुपये महीने का मानदेय और अन्य सुविधाओं का खर्च राजकोष में जमा कर गरीबों के कल्याण की योजनाओं पर खर्च किया जाए। दानवीरता की यह मिसाल इसलिए भी उल्लेखनीय है कि इसी सदन में कई करोड़पति और अरबपति विधायक न सिर्फ वेतन लेते हैं, बल्कि उसे बढ़ाने की भी जब तब मांग करते हैं। मध्यप्रदेश के कटनी जिले के बीजेपी विधायक संजय पाठक तो देश के दस सबसे अमीर विधायकों में शामिल रह चुके हैं। चैतन्य काश्यप न सिर्फ अपना वेतन ठुकरा चुके हैं बल्कि अपने फाउंडेशन के जरिए गरीबों के लिए केंद्र सरकार की अफोर्डेबल हाऊसिंग स्कीम में रतलाम जिले में अब साढ़े 7 करोड़ की मदद भी कर चुके हैं। यह राशि उन लोगों को दी जाती है, जिनके पास अपना अंश जमा करने के पैसे नहीं होते। चैतन्य काश्यप फाउंडेशन मेधावी छात्रों को पुरस्कृत करने सहित कई और समाजसेवी कार्य करता है। पेशे से उद्योपति काश्यप अपने इन कार्यों का श्रेय भी नहीं लेना चाहते।