Friday, November 22, 2024
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क्या ग्वालियर में भी चुप्पी साधेंगे पीएम मोदी?

कार्यकर्ता महाकुंभ में प्रदेश के किसी नेता का नाम तक नहीं लिया था मोदी ने, अब तोमर-सिंधिया के गढ़ में मोदी पर नजर

  • भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यदि कुछ बोलते हैं तो उसके मायने होते हैं।  वह चुप रहते हैं तो उसके भी अपने मायने हैं। प्रधानमंत्री पिछले दिनों भोपाल आए। भाजपा कार्यकर्ताओं की महाकुंभ को संबोधित किया, लेकिन किसी नेता का नाम नहीं लिया। ना तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उनकी किसी योजना या उपलब्धि के लिए दाद दी। और ना ही इस महाकुंभ के लिए नरेंद्र सिंह तोमर, वीडी शर्मा या किसी अन्य नेता को शाबाशी दी। प्रधानमंत्री की चुप्पी के मायने निकाले जा रहे हैं। मोदी अब 2 अक्टूबर को ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के गढ़ ग्वालियर आ रहे हैं, वहां मोदी किसी नेता का नाम लेते हैं या नहीं इस पर पूरी बीजेपी की नजर है।
  • भोपाल में बीजेपी कार्यकर्ता महाकुंभ से मध्यप्रदेश में चुनावी बिगुल फूंकने के छह दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर मध्यप्रदेश आ रहे हैं। मोदी दो बअक्टूबर को ग्वालियर आएंगे और पांच अक्टूबर को खजुराहो तथा जबलपुर में उनके कार्यक्रम प्रस्तावित हैं। बीजेपी में सबकी नजर प्रधानमंत्री के ग्वालियर दौरे पर है, इस दौरे में प्रधानमंत्री जो बोलेंगे उससे पार्टी के नेता और कार्यकर्ता कयास लगाएंगे कि मध्यप्रदेश में सरकार बनने की स्थिति में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? 18 साल से अधिक समय से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे शिवराज सिंह चौहान के खाते में पार्टी के सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री का खिताब ही नहीं है, लगातार चार बार सीएम बनने वाले भी पार्टी के वे पहले नेता हैं। मध्यप्रदेश भाजपा 2008 से 2018 तक शिवराज का चेहरा सामने रख कर ही चुनाव मैदान में उतरती रही है। इस बार भले ही ‘मप्र के मन में मोदी’ मंत्र का जाप किया जा रहा हो, लेकिन पार्टी के बैनर, पोस्टर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शिवराज की तस्वीर भी चस्पां रहती है। गांव-गांव और बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक अपनी पहचान रखने वाले शिवराज सिंह चौहान के चाहने वाले पार्टी नेताओं को प्रधानमंत्री ने पहला झटका भोपाल के कार्यकर्ता महाकुंभ में दिया। उन्होंने अपने पूरे भाषण में एक बार भी शिवराज या प्रदेश के किसी नेता का नाम नहीं लिया। इससे पहले मोदी जब भी मध्यप्रदेश आए शिवराज के काम की तारीफ करते दिखते थे। मोदी और भाजपा आलाकमान ने दूसरा झटका उसी रात 39 प्रत्याशियों की जारी सूची में दिया। पार्टी ने तीन केंद्रीय मंत्री सहित सात सांसदों को विधानसभा चुनाव का टिकिट थमा दिया। इनमें से तीन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते के साथ राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और लोकसभा में पार्टी के सचेतक राकेश सिंह का नाम मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल माना जाता रहा है। आगे आने वाली प्रत्याशियों की लिस्ट में सीएम पद के एक और दावेदार प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा का नाम होने की संभावना जताई जा रही है।
  • इन दो झटकों से पार्टी में प्रदेश कार्यालय से लेकर वार्ड स्तर तक कयासों के दौर चल पड़े हैं। कई लोग खुश हैं तो कई मायूस। मध्यप्रदेश भाजपा में वल्लभ भवन की पांचवी मंजिल यानी सीएमओ के लिए फिलहाल आधा दर्जन नेताओं के बीच होड़ दिख रही है। मुरैना से लेकर इंदौर तक समर्थकों ने टिकिट घोषित होते ही अपने नेता को भावी मुख्यमंत्री मान कर मिठाई बांट डाली। दूसरी तरफ शिवराज सिंह चौहान अपने दौरे जारी रखते हुए सरकार का कामकाज कर रहे हैं। हर वर्ग को संतुष्ट करने के जतन में भी वे जुटे दिखाई दे रहे हैं। शिवराज के करीबियों के अनुसार उनका लक्ष्य मध्यप्रदेश में फिर भाजपा सरकार बनाना है। इस सबके बीच पार्टीजनों की नजर प्रधानमंत्री के ग्वालियर दौरे पर टिकी हुई है। प्रधानमंत्री वैसे तो गांधी जयंती पर स्वच्छता अभियान के सिलसिले में आयोजित कार्यक्रम के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के इस शहर में आ रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री यहां भी पार्टी के साथ प्रदेशवासियों को कोई चुनावी मंत्र दे सकते हैं। प्रधानमंत्री ग्वालियर में यदि भोपाल की तरह ही प्रदेश के किसी नेता का नाम लिए बगैर भाजपा और अपनी सरकार के कार्यों की बात करते हैं तो मायने साफ हैं कि मोदी मध्यप्रदेश भाजपा में सीएम पद को लेकर सस्पेंस कायम रखना चाहते हैं। किसी एक नेता के नाम का जिक्र उनके भाषण में होगा तो उसका मंतव्य निकालकर बीजेपी कार्यकर्ता अपना रुख स्पष्ट कर सकते हैं। इसके बाद पांच अक्टूबर को खजुराहो में केन-बेतवा लिंक परियोजना की आधारशिला और जबलपुर में रानी दुर्गावती स्मारक के भूमिपूजन में भी प्रधानमंत्री के आने का कार्यक्रम है।
  • मोदी के इन दौरों के अपने मायने हैं। ग्वालियर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर का क्षेत्र है। खजुराहो के सांसद प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा हैं। जबलपुर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, सांसद राकेश सिंह और मंडला से लोकसभा पहुंचे केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के प्रतिनिधित्व वाले इलाके का संभागीय मुख्यालय है। तो क्या मोदी मुख्यमंत्री पद से संभावित दावेदारों के इलाकों में जाकर उनको चुनावी मजबूती दे रहे हैं या फिर उनके इन दौरों का मतलब सिर्फ बीजेपी की हवा बनाना है?
  • राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार गिरिजाशंकर के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी का भोपाल कार्यकर्ता महाकुंभ का भाषण पेन इंडिया भाषण था। मोदी पूरे देश को संबोधित कर रहे थे इसलिए उन्होंने प्रदेश के किसी नेता का नाम नहीं लिया, इससे पहले जब भी मध्यप्रदेश आए तो एमपी के नेताओं का जिक्र और शिवराज सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख उन्होंने किया है। जहां तक दिग्गज नेताओं की बात है तो पार्टी की नजर में कोई दिग्गज नहीं है और कोई किसी पद का दावेदार। पार्टी अपनी नीति के अनुसार पद का फैसला करती है।

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