51वाँ खजुराहो नृत्य समारोह का शुभारंभ डॉ. मोहन यादव ने दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ किया। नृत्य समारोह का आयोजन खजुराहो में स्थित कंदरिया महादेव मंदिर एवं देवी जगदंबा मंदिर के मध्य मंदिर प्रांगण में शुरू हुआ। जहां प्रथम दिवस की प्रस्तुतियां दी गई। इसी क्रम में 19 फरवरी से आदिवर्त म्यूजियम में 24 घंटे से अधिक लगातार चलने वाले वृहद नृत्य मैराथन (रिले) में विश्व रिकॉर्ड बनाया गया है। जिनमें 4 नृत्य कलाकार कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी, कुचिपुड़ी के कलाकारो द्वारा प्रस्तुतियां दी गई। इसका नृत्य निर्देशन एवं संयोजन कथक नृत्यांगना तथा फिल्म अभिनेत्री प्राची शाह, मुम्बई एवं संगीत निर्देशन एवं संयोजन कौशिक बसु द्वारा किया गया था। जिसमें प्रारंभिक रूप से 5-5 कलाकारों के 25 ग्रुप तैयार किए गए थे, जिसमें लगभग 136 कलाकारों ने भाग लिया। जो विभागीय संगीत महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय एवं नृत्य के वरिष्ठ कलागुरुओं के साधनारत शिष्य हैं। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में सांसद खजुराहो वी.डी. शर्मा, संस्कृति विभाग के मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी, विधायक राजनगर अरविंद पटेरिया, छतरपुर विधायक ललिता यादव, प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला, संचालक संस्कृति विभाग एन.पी. नामदेव, अधीक्षण पुरातत्व विद, निदेशक उस्ताद अलाउद्दीन खां अकादमी मंचासीन रहे।
बाल नृत्य की हुईं प्रस्तुतियां
मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा बाल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने और नई पीढ़ी को नृत्य के प्रति प्रेरित करने के उद्देश्य से 51वें खजुराहो नृत्य समारोह में पहली बार खजुराहो बाल नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया। इसका शुभारम्भ सुप्रसिद्ध अभिनेत्री और नृत्यांगना प्राची शाह, कलेक्टर छतरपुर पार्थ जैसवाल, पुलिस अधीक्षक छतरपुर अगम जैन, संचालक संस्कृति एन.पी.नामदेव और निदेशक उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी डॉ. धर्मेंद्र पारे ने किया। बाल प्रतिभाओं ने ऊर्जा से भरपूर नृत्य प्रस्तुतियां दी। इस गतिविधि के लिए परिसर में विशेष मंच बनाया गया था। पहली प्रस्तुति कुचिपुड़ी नृत्यांगना कुमारी निकिता अहिरवार की रही। उन्होंने कृष्ण शब्दम और कृष्ण तरंगम की मनमोहक प्रस्तुति से समा बंधा। इसके बाद नाविका माहेश्वरी की भरतनाट्यम की प्रस्तुति हुई। उन्होंने पुष्पांजलि, अष्टपदी और अर्धनारीश्वर की प्रस्तुति दी। अंतिम प्रस्तुति त्वरिता जैन की रही, उन्होंने कथक नृत्य में ताल बसंत नौ मात्रा और बसंत गीत की प्रस्तुति दी।प्रथम दिवस में कथकली (इंटरनेशनल सेंटर फॉर कथकली, दिल्ली), मोहिनीअट्टम् )पल्लवी कृष्णन, केरल) और ओडिसी (कल्याणी वैदेही फगरे, मध्यप्रदेश) की शानदार प्रस्तुति दी गई।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अभिनम, अभिराम और सतत 24 घंटे से 139 कलाकारों और उनकी साधना को प्रणाम करते हुए कहा कि कथककली भगवान कृष्ण की नृत्य के माध्यम से कथा करने की विद्या है। उन्होंने कहा 1 हजार साल पुराना कंदरिया महोदेव उस काल के अंदर उच्च कोटि की शानदार विरासत है। उन्होंने कहा कला संस्कृति बुंदेलखण्ड का इलाका बकाई में अद्भुत है। किसी बात के लिए परमात्मा ने कोई कमी नही रखी है। उन्होंने कहा यहां का पत्थर भी चमके तो दुनिया उसको अपने पास रखती है। ये बुंदेलखण्ड की धरती है। यहां मनुष्य चमते तो बुंदेला कहलाएं और पत्थर चमके तो हीरा कहलाएं और कला चमके तो खजुराहो की कला कहलाएं। इसको नित्य साधो तो अपना जीवन धन्य कर लेंगे। आज कला साधकों ने जो कला का 24 घंटे का क्रम बताया है। उन्होंने कहा सरकार का उत्तरादायित्व है अपनी संस्कृति के लिए काम करें। उन्होंने कहा दुर्लभ वाद्ययों के माध्यम से, कभी नृत्य की विद्या को लेकर, कभी ताल दरवार जैसे सारे कामों से कल्पनाशीलता और गतिशीलता दिखाई देती है। उन्होंने इस विशेष समारोह के लिए संस्कृति विभाग और सभी कलाकारों को बधाई देते हुए अपनी वाणी को विराम दिया।
बाइट , डॉ मोहन यादव मुख्यमंत्री