IAS की तैयारी के लिए ये जरूरी नहीं कि आपके पास कितनी सुविधाएं हैं और आपकी परिस्थतियां कैसी हैं ? देश के कई धुरंधरों ने ना तो गरीबी की परवाह की और ना हालात से हारे…और फिर देश का सर्वोच्च इम्तिहान UPSC पास कर दिखाया। ऐसी ही एक नजीर हैं सी. वनमती. केरल के इरोड जिले की रहने वाली सी. वनमती ने चरवाहा से IAS बनने का सफर कैसे तय किया, यह कहानी काबिले तारीफ है.
सत्यमंगलम कॉलेज में पढ़ने वाली सी. वनमती एक साधारण सी लड़की थी, जिसके दिन की शुरुआत पशुओं को चारा खिलाने से शुरू होता था। पढ़ाई में मेहनती सी. वनमती को पहली बार में हालांकि सफलता नहीं मिली। पर इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं माना और साल 2015 में आखिरकार उनका नाम UPSC के परिणाम सूची में शामिल हो ही गया। सी.वनमती ने साल 2015 में यूपीएससी में 152वीं रैंक हासिल की थी।साल 2015 से पहले भी तीन बार वनमति ने यूपीएससी के लिए प्रयत्न किया पर हर बार कुछ अंक के फ़ासले से वह चूक गयीं। फिर भी बिना हताश हुए उन्होंने अपनी मेहनत जारी रखी और साल 2015 में आखिरी लिस्ट के लिए चुने गए 1,236 प्रतिभागियों में अपनी जगह बना ली। जब मुख्य परिणाम निकला तब वनमति अपने पिता के साथ अस्पताल में थी।
इंटरव्यू से ठीक दो दिन पहले ही सी. वनमती के पिता टी. एन चेन्नियपन बीमार हो गए और उन्हें हॉस्पिटलाइज करना पड़ा। दरअसल उनके इंटरव्यू के बाद उनके पिता को रीढ़ की हड्डी में चोट आ गयी थी। अपने पिता की देखभाल करते हुए ही वनमती ने इंटरव्यू की तैयारी की। IAS बनने वाली वनमती के माता-पिता बहुत पढ़े-लिखे नहीं थे। इरोड में इनका परिवार पशु-पालन करता था। पिता ड्राइवर थे। वनमती का बचपन भी भैंसों पर बैठकर और जानवरों को चराते हुए ही बीता था। लेकिन उनमें पढ़ाई को लेकर रुझान हमेशा से था।