- क्लिंटन दौरे पर कश्मीर में बड़ा जनसंहार
- ट्रंप दौरे के वक्त दिल्ली में हिंसा, 7 की मौत
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मंगलवार को सीएए समर्थकों और सीएए विरोधियों के बीच हुई हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर सात हो गई है. पुलिस ने यह जानकारी दी. हिंसा की यह घटना तब हुई जब अमेरिकी राष्ट्रपति भारत दौरे पर हैं. हिंसा का यह खूनी मंजर उसी जगह पर देखा गया जहां राष्ट्रपति ट्रंप अपनी पत्नी और बेटी के साथ रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और निवेश जैसे कई मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता कर रहे थे. इससे मिलती-जुलती घटना तब भी हुई थी जब तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत दौरे पर आए थे. यह घटना 20 मार्च 2000 की है जिसमें आतंकियों ने एक साथ 35 सिखों की हत्या कर दी थी.
ट्रंप का दौरा और दिल्ली में हिंसा
राष्ट्रपति ट्रंप फिलहाल दिल्ली में हैं. सोमवार को वे अहमदाबाद पहुंचे जहां उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम में हिस्सा लिया. ट्रंप जिस वक्त कार्यक्रम में शामिल हो रहे थे, उसी वक्त दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हिंसक घटना हुई. घटना इतनी व्यापक थी कि इसमें आम लोगों के साथ कई पुलिसकर्मी घायल हैं, जिनका इलाज चल रहा है. कुछ की हालत गंभीर भी है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने इस बारे में मंगलवार को कहा कि कुछ तत्व दिल्ली में हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. मंत्री ने कहा, दिल्ली में हिंसा पूर्व नियोजित है और इसका उद्देश्य अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान भारत की छवि को धूमिल करना है.
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बता दें, सुरक्षा के लिहाज से दिल्ली पुलिस ने हिंसाग्रस्त इलाकों के मेट्रो स्टेशन फिलहाल बंद करवा दिए हैं. जाफराबाद, मौजपुर-बाबरपुर, गोकुलपुरी, जौहरी एनक्लेव और शिव विहार मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार बंद कर दिए गए हैं. इन सभी इलाकों में सोमवार को जबरदस्त हिंसा व आगजनी हुई थी. मंगलवार को भी कुछ इलाकों में पत्थरबाजी की खबरें हैं. बाहर से उपद्रवी तत्व यहां आकर एकत्र न हों, इसके लिए इन मेट्रो स्टेशनों को बंद रखा गया है. मंगलवार सुबह मौजपुर के नजदीक ब्रह्मपुरी इलाके में उपद्रवी भीड़ ने एक बार फिर पथराव किया. छोटे-छोटे गुटों में बंटे उपद्रवियों के ये समूह पुलिस और कुछ अन्य लोगों पर पथराव करते दिखे. हालांकि बड़ी संख्या में पुलिस की मौजूदगी और सतर्कता के चलते यह उपद्रवी हिंसा फैलाने में नाकाम रहे.
बिल क्लिंटन का दौरा और अनंतनाग हिंसा
श्रीनगर से सटे अनंतनाग जिले के छत्तीसिंहपुरा गांव में 20 मार्च, 2000 की रात एक दर्दनाक घटना हुई. रात में गांव के लोग रेडियो पर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत यात्रा की खबरें सुन रहे थे. तभी गांव में तकरीबन 40-50 आतंकी घुस आए और जबरन सिख लोगों को घरों से बाहर निकालना शुरू कर दिया. ये लोग हालात के बारे में कुछ समझ पाते, उससे पहले ही आतंकियों ने ऑटोमेटिक रायफलों से गोलियां दागनी शुरू कर दीं. देखते-देखते कुछ ही दरे में 35 शवों का ढेर लग गया.
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पूरी दुनिया की निगाह बिल क्लिंटन की भारत यात्रा पर टिकी थी लेकिन पल भर में इस घटना ने विश्व बिरादरी का ध्यान अनंतनाग की ओर खींच लिया. रिपोर्टों के मुताबिक, लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया जो भारतीय फौज की वर्दी पहनकर आए थे जो फर्जी या चोरी की थी. बाद में सेना ने दावा किया था कि यह काम पाकिस्तान समर्थित इस्लामिक कट्टर समूह लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों का है. इस घटना के ठीक एक दिन बाद बिल क्लिंटन भारत दौरे पर पहुंचे थे.