योगेश कुमार यादव
बलौदाबाजार. छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में एक गांव आज भी विकास का इंतजार कर रहा है. पिछले 40 साल से यहां एक पुल तक नहीं मिला. बारिश के मौसम में गांव को जोड़ने वाला नाला भर जाता है. इसके बाद नाले से स्कूली बच्चों को पार कराने के लिए वासुदेव बनते हैं पालक. बच्चों को कंधों पर बैठाकर पार कराया जाता है. हालत इतनी खराब है कि मरीजों के लिए इस गांव में एक एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती. बलौदाबाजार के इस गांव की विकास की तस्वीर दर्दनाक कहानी बयां करती है.
बलौदाबाजार जिले के पलारी ब्लॉक मुख्यालय से लगभग 23 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत छेस्काडीह (स) में बच्चों और अन्य ग्रामीणों को बारिश में खुद के गांव में आने-जाने के लिए जान जोखिम में डालकर नाला पार करना पड़ता है. गांव की आबादी महज 1300 है.
बारिश में होती है लोगों को काफी परेशानी
ग्राम पंचायत छेस्काडीह (स) में 15 वार्ड हैं. यहां वार्ड 1 और 2 को भाटापारा मोहल्ले के नाम से जाना जाता है, जहां 40 परिवार के 300 लोग 40 साल से रह रहे हैं. उन्हें बारिश में अपने ही गांव में आने जाने के लिए नाले पर बना अस्थाई लकड़ी का पुल पार करना पड़ता है, तब वे स्कूल, आंगनबाड़ी, पंचायत, राशन दुकान जा पाते हैं.
जान जोखिम में डालकर नाला पार करने की मजबूरी
वार्ड 1 और दो भाटापारा मोहल्ला गांव के नाले के ऊपर बसे हैं. इनमें न आंगनबाड़ी केंद्र न स्कूल और न ही राशन दुकाना है. दोनों वार्ड के 10 बच्चे आंगनबाड़ी केन्द्र, 25 बच्चे प्राथमिक स्कूल, 5 मिडिल और 15 हई स्कूल, कॉलेज जारा, पलारी जाते हैं, जिन्हें रोज नाले से गुजरना पड़ता है. ग्रामीण बच्चों को पार कराने 4 फीट चौड़ा और 20 फीट लम्बा अस्थाई लकड़ी का पुल बनाते हैं. मगर जब नाला उफान पर रहता है तो पुल काम नहीं आता तक बच्चों को बड़े कंधे पर बिठाकर नाला पार कराते हैं.
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Tags: Balodabazar news, Chhattisgarh news
FIRST PUBLISHED : July 20, 2023, 18:48 IST
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