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कौन दर्द सुने, किसे दोष दें, आखिर हर बारिश में क्यों डूब जाती है दिल्ली

पानी की वजह से यशोभूमि द्वारका सेक्टर-25 मेट्रो स्टेशन पर प्रवेश और निकास द्वार बंद कर देना पड़ा.दिल्ली एयरोसिटी मेट्रो स्टेशन से टर्मिनल 1-आईजीआई हवाई अड्डे तक शटल सेवा स्थगित कर दी गई. सुप्रीम कोर्ट जैसे वीआईपी इलाके में भी सड़क पर जलजमाव देखा गया.शशी थरूर, भर्तृहरी महाताब और रामगोपाल यादव जैसे वरिष्ठ सासंदों के घर में भी बारिश का पानी घुस गया. 

दिल्ली में शुक्रवार को कितनी बारिश हुई?

मौसम विभाग के मुताबिक उसके सफदरजंग केंद्र इलाके में शुक्रवार सुबह ढाई बजे से साढ़े पांच बजे के बीच 228 एमएम बारिश दर्ज की गई. अन्य केंद्रों ने भी भारी बारिश दर्ज की है. मौसम विभाग के मुताबिक अगले दो-तीन दिन में भारी बारिश की चेतावनी दी है. दिल्ली में बारिश और बारिश के पानी से निपटने के लिए जो उपाय हैं, वो 50 मीमी बारिश के लिए पर्याप्त हैं. ऐसे में इससे ज्यादा की बारिश दिल्ली वालों के लिए मुसीबत लेकर आती है. 

दिल्ली की इस हालत के लिए दिल्ली नगर निगम को जिम्मेदार माना जा रहा है, जिसके पास दिल्ली के नालों और नालियों की सफाई की जिम्मेदारी है.इस बीच दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय ने कहा है कि इस बार की स्थिति पिछली बार से काफी बेहतर है.मानसून की पहली बारिश में ही सभी जगह चिन्हित हो चुकी हैं.तमाम अधिकारी जमीनी स्तर पर काम में जुटे हैं.जहां भी पानी भरा हुआ है,वहां काम जारी है.दिल्ली की जनता को आज के बाद ऐसी स्थिति फिर नहीं मिलेगी.

क्या कर रही है दिल्ली सरकार

वहीं दिल्ली के शहर विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि पिछले 24 घंटों में दिल्ली में भारी बारिश हुई है.उन्होंने कहा कि मौसम रिपोर्ट के मुताबिक 1936 के बाद जून के महीने में इतनी बारिश कभी नहीं हुई. उन्होंने कहा है कि शुक्रवार दोपहर दो बजे मंत्रियों की बैठक होगी.

इसमें पीडब्लूडी मंत्री होंगे,एमसीडी और पीडब्लूडी के लोग होंगे और हम अन्य एजेंसियों से भी बात करेंगे कि क्या किया जा सकता है ताकि आगे कोई नुकसान न हो. उन्होंने कहा कि इसके लिए युद्ध स्तर पर कुछ व्यवस्था की जानी चाहिए. मुझे लगता है कि दो बजे की बैठक कई दिशा-निर्देश दिए जाएंगे. 

दिल्ली में कितने नाले हैं

दिल्ली नगर निगम के मुताबिक उसके अधीन चार फीट से ऊपर के 713 नाले हैं. वहीं चार फीट से नीचे के भी 21 नाले हैं. इन नालों की सफाई दो चरणों में होती है.पहला चरण मानसून से पहले पूरा किया जाता है और दूसरे चरण की सफाई मानसून खत्म होने के बाद होती है.कुछ दिन पहले नगर निगम ने दावा किया था कि पहले चरणें में चार फीट से ऊपर के नालों की सफाई का काम करीब 93 फीसद पूरा हो चुका है.वहीं चार फुट से कम के नालों की सफाई भी 85 फीसद तक हो चुकी है.ऐसे में सवाल यह है कि अगर नालों की सफाई को पूरा हो गया था तो दिल्ली पानी-पानी कैसे हुई. कहीं ऐसा तो नहीं हुआ कि नालों की साफ-सफाई केवल कागजों पर ही हुईृ, क्योंकि अगर सफाई हुई होती तो सड़कों पर पानी नहीं लगना चाहिए था. 

वहीं लुटियंस जोन में पानी की निकासी का काम नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) के जिम्मे है. लेकिन जिस तरह से लुटियंस जोन के बंगलों में पानी घुसा उससे लगता है कि एनडीएमसी ने अपना काम जिम्मेदारी से नहीं किया है. दिल्ली में नालों की सफाई न होने ही जलजमाव की समस्या पेश आती है. 

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