बीजिंग: पूरी दुनिया को कोरोना महामारी (Coronavirus) के अंधेरे में धकेलने वाले चीन में एक बार फिर से संक्रमण फैलना शुरू हो गया है. सबसे ज्यादा चिंता वाली बात यह है कि कोरोना का स्वरूप पूरी तरह बदला हुआ है. चीन ने वायरस की रफ्तार धीमी पड़ने के बाद लॉकडाउन जैसे कड़े उपाय हटा लिए थे. उसने कोरोना का केंद्र रहे वुहान के महामारी मुक्त होने की घोषणा भी कर दी थी, लेकिन हाल ही में सामने आए कुछ मामलों ने उसके होश उड़ा दिए हैं.
चीन में नए सिरे से कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है. ये मरीज ऐसे हैं, जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं हैं, लेकिन उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. जानकारी के अनुसार, यहां अब तक बिना लक्षण वाले 989 संक्रमित मरीज मिल चुके हैं. इससे पता चलता है कि कोरोना ने एक बार फिर से चीन में दस्तक दी है और इस बार वह पहले से ज्यादा खतरनाक रूप में है.
रिसर्च ने कोरोना को लेकर डराने वाला खुलासा
वहीं, चीन के वैज्ञानिकों की एक रिसर्च ने कोरोना को लेकर डराने वाला खुलासा किया है. वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना वायरस हवा से भी फैल सकता है. रिसर्च के मुताबिक वायरस छोटे ड्रॉपलेट से फैलता है जिसे एरोसोल कहते हैं. नेचर मैगज़ीन में छपी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि कोरोना हर जगह हवा में नहीं मिला, बल्कि कुछ खास जगहों पर हवा में पाया गया. दरअसल, चीन के वैज्ञानिकों ने फरवरी और मार्च में कुछ जगहों के सैंपल लिए थे. ये सैंपल वुहान के हॉस्पिटल और उस क्वारंटाइन सेंटर से लिए गए जहां कोरोना संक्रमित मरीजों को रखा गया था. वैज्ञानिकों ने वुहान के सार्वजनिक स्थानों जैसे रेजिडेंशियल बिल्डिंग, सुपर मार्केट और डिपार्टमेंटल स्टोर से भी हवा के सैंपल इकट्ठा किए.
हवा में पाया गया वायरस
सैंपल की जांच के बाद वैज्ञानिकों ने खुलासा किया कि अस्पताल के आइसोलेशन वॉर्ड और पेशेंट रूम में वायरस का स्तर और एरोसोल काफी कम था, लेकिन अस्पताल के बाथरूम में कोरोना वायरस के कण काफी ज्यादा थे. जहां अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मी अपने पीपीआई को रखते थे, वहां भी हवा में वायरस पाया गया. यह माना गया कि कपड़ों पर चिपका वायरस ही हवा में घूम रहा होगा. इस रिसर्च के मुताबिक जिन जगहों पर कोरोना संक्रमित मरीज थे, उन जगहों पर हवा में कोरोना वायरस मिला. हालांकि इस रिसर्च से एक अच्छी बात यह सामने आई कि बड़ी जगहों जैसे सुपरमार्केट, रेजिडेंशल बिल्डिंग के आस-पास हवा में वायरस के कण नहीं मिले. इस संबंध में वरिष्ठ चिकिस्तक डॉ. आशीष जायसवाल का कहना है कि अगर हवा में करंट हो और जगह ठीक से वेंटिलेटेड ना हो तो कोरोनावायरस हवा के जरिए फैल सकता है.
इसी तरह की एक रिसर्च दुनिया के तीसरे बड़े कोरोना हॉटस्पॉट इटली से आई है. इटली के बोलोग्ना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने रिसर्च के दौरान हवा में फैले प्रदूषण के कण में कोरोना वायरस को डिटेक्ट किया. वैज्ञानिकों ने शहरी और औद्योगिक इलाकों में हवा के कई सैंपलों को इकट्ठा किया. इन सैंपलों की जांच में प्रदूषण के कणों में कोरोना वायरस जैसे जीन पाए गए. बाद में लैब जांच के दौरान उन कणों में कोरोना वायरस होने की पुष्टि रिसर्च वैज्ञानिकों ने की है.
WHO ने किया इंकार
इसी तरह ब्रिटेन के न्यू इंग्लैंड जरनल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित रिसर्च में भी दावा किया गया है कि कोरोना वायरस हवा से फैल सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, कोरोना तीन घंटे तक हवा में रह सकता है. अब तक दुनिया यही मान रही थी कि कोरोना संक्रमित इंसान के थूकने, छींकने या फिर खांसने से दूसरे इंसानों को अपना शिकार बनाता है, लेकिन वायरस के हवा में मौजूद होने के दावों ने सभी को हैरत में डाल दिया है. इस संबंध में, वरिष्ठ चिकित्सक कौशल कांत मिश्रा, ने बताया कि वायरस का हवा से फैलना मिथ नही है, हमारे छींकने से 8-10 फीट तक हवा में ड्रॉपलेट तैरते हैं और उसमे यह वायरस सर्वाइव कर लेता है. इसलिए अपने घरों को हमेशा हवादार रखने की कोशिश करें. हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साफ किया है कि दुनिया में कहीं भी ऐसा मामला सामने नहीं आया है.
और दो साल रहेगा कोरोना
वहीं, शोधकर्ताओं ने भी कोरोना को लेकर चेतावनी दी है. उनका कहना है कि महामारी के कम से कम दो साल तक ऐसे ही कहर बरपाने की आशंका है. वैसे, इसमें हैरान करने वाली बात नहीं है क्योंकि दुनिया में जिस हिसाब से संक्रमित मरीज हैं उससे लगता नहीं है कि कोरोना जल्द खत्म होगा. कोरोना से लंबी लड़ाई को देखते हुए अमेरिका की मिनेसोटा यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट ने कई सिफारिशें भी की हैं. जिनमें कहा गया है कि सरकारों को बेहद बुरे हालात से निपटने की तैयारी रखनी चाहिए. सरकारों और स्वास्थ्य संगठनों को स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए एक रणनीति बनानी चाहिए.